सृष्टि का हर आकर्षण हमें परमात्मा से दूर करता है| पर परमात्मा का
आकर्षण सर्वाधिक मोहक है| ध्यान के भावातिरेक में उनकी एक झलक मिल जाए, वह
किसी भी अन्य आकर्षण से अधिक आनंददायक है| अन्य सब कामनाओं को त्याग कर हम
उन्हीं के पीछे पूर्ण प्रेम से लगे रहें तो उनका स्पष्ट आभास और आगमन
निश्चित रूप से होता है| यह भगवान का ही वचन है जो कभी झूठा नहीं हो सकता|
सर्वप्रथम हम परमात्मा को निज जीवन में व्यक्त करें, फिर हर उपलब्धि स्वतः ही हम से जुड़ जाती है| हर चीज प्रतीक्षा कर सकती है, पर प्रियतम की खोज नहीं| सर्वप्रथम परमात्मा, तत्पश्चात बाकी अन्य कुछ और|
सर्वप्रथम हम परमात्मा को निज जीवन में व्यक्त करें, फिर हर उपलब्धि स्वतः ही हम से जुड़ जाती है| हर चीज प्रतीक्षा कर सकती है, पर प्रियतम की खोज नहीं| सर्वप्रथम परमात्मा, तत्पश्चात बाकी अन्य कुछ और|
ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
२६ नवम्बर २०१७
कृपा शंकर
२६ नवम्बर २०१७
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