हे
गुरु रूप परमशिव परब्रह्म, मैं और आप एक हैं| हम ही नौका हैं, हम ही
कर्णधार हैं, हम ही भवसागर हैं, और हम ही उस से पार सर्वस्व हैं| जो आप हैं
वो ही मैं हूँ, और जो मैं हूँ वो ही आप हैं| हमारे सिवाय अन्य किसी का कोई
अस्तित्व नहीं है| हम दोनों एक हैं| कहीं कोई अन्धकार नहीं है, चारों और
प्रकाश ही प्रकाश है, आनंद ही आनंद है| वह प्रकाश, और वह आनंद हम स्वयं
हैं| हम ही ॐ और उस से भी परे हैं|
आप को भी नमन और मुझ को भी नमन ! आप परमात्मा हैं तो मैं आपकी सर्वव्यापकता हूँ| आप परम प्रेम हैं तो मैं उस से प्राप्त आनंद हूँ| हम एक हैं, और सदा एक ही रहेंगे|
ॐ ॐ ॐ
आप को भी नमन और मुझ को भी नमन ! आप परमात्मा हैं तो मैं आपकी सर्वव्यापकता हूँ| आप परम प्रेम हैं तो मैं उस से प्राप्त आनंद हूँ| हम एक हैं, और सदा एक ही रहेंगे|
ॐ ॐ ॐ
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