रक्त से किस की प्यास बुझती है? आतंक क्या है? आतंकवादी कौन है? आतंक का सामना कैसे करें?
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रक्त से नरपिशाचों और हिंसक पशुओं की ही प्यास बुझती है| हिंसा और अत्याचार के द्वारा, जोर जुल्म से, तलवार की नोक पर दूसरों से अपनी बात मनवाना आतंक है, और जो ऐसा करते हैं, वे आतंकवादी है| भारत पिछले एक हजार वर्षों से आतंकवाद को झेल रहा है| आतंकवादी चाहते हैं कि या तो हम उनके गुलाम बन कर रहें, या उनकी बात स्वीकार कर उनके साथ एक हो जाएँ| हाल ही में दिल्ली और देश के अन्य भागों में हुए दंगे करने और कराने वाले ..... नरपिशाच, हिंसक-पशु आतंकवादी ही थे| उनका यह कृत्य ही आतंक था|
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अब भारत को अपना आत्मबल जागृत कर उठना ही होगा| भारत का भविष्य ही इस पृथ्वी का और सृष्टि का भविष्य है| मनुष्य अपनी निजी शक्ति से पिशाचों से युद्ध नहीं कर सकता| उसे दैवीय सहायता की आवश्यकता पड़ती ही है| अपने निज जीवन में परमात्मा की शक्ति को अवतरित कर के ही हम पैशाचिक शक्तियों को पराभूत कर सकते हैं| इसके लिए हम निजस्वभावानुसार भगवान श्रीराम या श्रीकृष्ण या श्रीहनुमान या भगवती दुर्गा की आराधना करते हुए स्वयं शक्तिशाली बनें और अपनी कमजोरियों को दूर कर भारतवर्ष की रक्षा करें|
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भारत विजयी होगा, निश्चित रूप से होगा| ॐ तत्सत् ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
५ मार्च २०२०
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रक्त से नरपिशाचों और हिंसक पशुओं की ही प्यास बुझती है| हिंसा और अत्याचार के द्वारा, जोर जुल्म से, तलवार की नोक पर दूसरों से अपनी बात मनवाना आतंक है, और जो ऐसा करते हैं, वे आतंकवादी है| भारत पिछले एक हजार वर्षों से आतंकवाद को झेल रहा है| आतंकवादी चाहते हैं कि या तो हम उनके गुलाम बन कर रहें, या उनकी बात स्वीकार कर उनके साथ एक हो जाएँ| हाल ही में दिल्ली और देश के अन्य भागों में हुए दंगे करने और कराने वाले ..... नरपिशाच, हिंसक-पशु आतंकवादी ही थे| उनका यह कृत्य ही आतंक था|
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अब भारत को अपना आत्मबल जागृत कर उठना ही होगा| भारत का भविष्य ही इस पृथ्वी का और सृष्टि का भविष्य है| मनुष्य अपनी निजी शक्ति से पिशाचों से युद्ध नहीं कर सकता| उसे दैवीय सहायता की आवश्यकता पड़ती ही है| अपने निज जीवन में परमात्मा की शक्ति को अवतरित कर के ही हम पैशाचिक शक्तियों को पराभूत कर सकते हैं| इसके लिए हम निजस्वभावानुसार भगवान श्रीराम या श्रीकृष्ण या श्रीहनुमान या भगवती दुर्गा की आराधना करते हुए स्वयं शक्तिशाली बनें और अपनी कमजोरियों को दूर कर भारतवर्ष की रक्षा करें|
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भारत विजयी होगा, निश्चित रूप से होगा| ॐ तत्सत् ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
५ मार्च २०२०
Nehru's Tibet policy-
ReplyDeleteFirst, he sought written approval of British PM Atlee to surrender Tibet to China in 1950, thereby keeping India, still under British rule.
https://thewire.in/…/india-has-no-tibetan-card-to-play-here…
Then, he supplied food and other supplies for Chinese army. With help of this supply, China could capture Tibet in 9 years. Due to vast territory and mountain region, it took long time even with Nehru's help.
https://www.sundayguardianlive.com/…/nehrus-india-helped-ch…
After capture of Tibet, China started attacking remaining India in Laddakh and Arunachal (the called NEFA). In Chusul sector, 60 Indian soldiers of CRP were killed on 20 October, 1959 and thereafter, Police Martyrs Day on 20th October in every district. But it was spread that, China suddenly deceived India by attacking in 1962.
While Nehru was eager to help Chinese army with materials, Indian army was not given ammunition or warm clothes to defend itself from Chinese attack. Eager to contain China, USA sent massive air supply of arms and winter clothing through Calcutta (now Kolkata) airport. Nehru obstinately refused use of Indian air force which could have finished Chinese attack within 2 days as China had no airbase or road system in Tibet then. Even for transport of arms to Himalayan border, he sat over file which recommended immediate airlift by air force planes. He waited for 3 days till, Biju Patnaik and Mundhra gave bid to transport supplies with freshly formed airlines and gave orders to that. This airlines was on paper only without any plane. They hired some planes from Singapore and sent it back there for sale in black market. It was purchased by China. USA was frustrated that the arms for fighting China were given to China itself and started giving arms to Pakistan. This enabled Pakistan to attack India in 1965. Even in 1948 attack, Nehru gave 55 crores to Pakistan to help in attacking India. When Pakistan army, started losing despite help, he suddenly surrendered half Kashmir to Pakistan and fate of remaining Kashmir was handed over to UNO.
https://orissamatters.com/…/drum-beating-of-imagined-dream…/