"ॐ प्रणो देवी सरस्वती वाजेभिर्वजिनीवती धीनामणित्रयवतु|" "ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः|"
बसंत पंचमी की शुभ कामनायें, माँ सरस्वती को नमन, और वीर बालक हकीकत राय का पुण्य स्मरण .....
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माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी को ‘बसंत पंचमी’, श्रीपंचमी' और 'सरस्वती पूजा' के रूप में देशभर में मनाया जाता है| इस दिन से बसंत ऋतु का आगमन और शरद ऋतु की विदाई होती है| चालीस-पचास वर्षों पूर्व तक इस दिन प्रायः सभी मंदिरों में भजन-कीर्तन होते थे, गुलाल लगाई जाती थी और पुष्प-वर्षा होती थी| अब तो श्रद्धालु इसे सरस्वती पूजा के रूप में ही मनाते हैं, क्योंकि मान्यता है कि इसी दिन विद्या और बुद्धि की देवी माँ सरस्वती अपने हाथों में वीणा, पुस्तक व माला लिए अवतरित हुई थीं| माँ सरस्वती को वागीश्वरी, भगवती, शारदा, वीणावादनी और वाग्देवी सहित अनेक नामों से पूजा जाता है| ये विद्या और बुद्धि प्रदाता हैं| संगीत की उत्पत्ति करने के कारण ये संगीत की देवी भी हैं| ‘बसंत पंचमी’ को गंगा का अवतरण दिवस भी माना जाता है| इस दिन गंगा स्नान करने का भी महत्व है| भारत के विभाजन से पूर्व लाहौर में वीर बालक हकीकत राय की स्मृति में एक मेला भी भरता था, वहीं जहाँ वीर बालक हकीकत राय ने धर्म-रक्षार्थ अपने प्राण दिये थे| अब लाहौर में बसंत पंचमी के दिन पतंगें उड़ाई जाती हैं|
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माघ के महीने में हुई वर्षा को भी शुभ माना जाता है| कहते हैं कि माघ के माह में हुई वर्षा के जल की एक-एक बूंद अमृत होती है| बसंत पंचमी के दिन से प्रकृति का कण-कण खिल उठता है| वसन्त पञ्चमी के समय सरसों के पीले-पीले फूलों से आच्छादित धरती की छटा देखते ही बनती है| प्रकृति इस दिन अपना शृंगार स्वयं करती है|
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बसंत पंचमी के दिन भगवान श्रीराम भीलनी शबरी की कुटिया में पधारे थे|
कुछ लोक-कथाओं के अनुसार बालक श्रीकृष्ण ने बसंत पंचमी के दिन श्रीराधा जी का शृंगार किया था|
राजा भोज का जन्मदिवस वसंत पंचमी को ही आता हैं| राजा भोज इस दिन एक बड़ा उत्सव करवाते थे जिसमें पूरी प्रजा के लिए एक बड़ा प्रीतिभोज रखा जाता था जो चालीस दिन तक चलता था|
बसंत पंचमी के ही दिन पृथ्वीराज चौहान ने तवे पर हुई चोट और चंदबरदाई के संकेत से अनुमान लगाकर जो बाण मारा, वह मोहम्मद ग़ोरी के सीने में जा धंसा था| इसके बाद चंदबरदाई और पृथ्वीराज ने भी एक दूसरे के पेट में छुरा भौंककर आत्मबलिदान दे दिया था|
२३-०२-१७३४ बसंत पंचमी के ही दिन वीर बालक हकीकत राय ने अपना बलिदान दिया और उनकी पत्नी लक्ष्मी देवी सती हुईं|
१८१६ ई.की बसंत पंचमी के दिन गुरु रामसिंह कूका का जन्म हुआ था| उनके ५० शिष्यों को १७ जनवरी १८७२ को मलेरकोटला में अंग्रेजों ने तोपों के मुंह से बांधकर उड़ा दिया, और बचे हुए १८ शिष्यों को फांसी दे दी| उन्हें मांडले की जेल में भेज दिया गया जहाँ घोर अत्याचार सहकर १८८५ में उन्होने अपना शरीर त्याग दिया|
वसन्त पंचमी के ही दिन हिन्दी साहित्य की अमर विभूति महाकवि सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' का जन्म २८-०२-१८९९ को हुआ था| श्रद्धा से लोग उन्हें 'महाप्राण' कहते थे|
बसंत पंचमी की शुभ कामनायें, माँ सरस्वती को नमन, और वीर बालक हकीकत राय का पुण्य स्मरण .....
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माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी को ‘बसंत पंचमी’, श्रीपंचमी' और 'सरस्वती पूजा' के रूप में देशभर में मनाया जाता है| इस दिन से बसंत ऋतु का आगमन और शरद ऋतु की विदाई होती है| चालीस-पचास वर्षों पूर्व तक इस दिन प्रायः सभी मंदिरों में भजन-कीर्तन होते थे, गुलाल लगाई जाती थी और पुष्प-वर्षा होती थी| अब तो श्रद्धालु इसे सरस्वती पूजा के रूप में ही मनाते हैं, क्योंकि मान्यता है कि इसी दिन विद्या और बुद्धि की देवी माँ सरस्वती अपने हाथों में वीणा, पुस्तक व माला लिए अवतरित हुई थीं| माँ सरस्वती को वागीश्वरी, भगवती, शारदा, वीणावादनी और वाग्देवी सहित अनेक नामों से पूजा जाता है| ये विद्या और बुद्धि प्रदाता हैं| संगीत की उत्पत्ति करने के कारण ये संगीत की देवी भी हैं| ‘बसंत पंचमी’ को गंगा का अवतरण दिवस भी माना जाता है| इस दिन गंगा स्नान करने का भी महत्व है| भारत के विभाजन से पूर्व लाहौर में वीर बालक हकीकत राय की स्मृति में एक मेला भी भरता था, वहीं जहाँ वीर बालक हकीकत राय ने धर्म-रक्षार्थ अपने प्राण दिये थे| अब लाहौर में बसंत पंचमी के दिन पतंगें उड़ाई जाती हैं|
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माघ के महीने में हुई वर्षा को भी शुभ माना जाता है| कहते हैं कि माघ के माह में हुई वर्षा के जल की एक-एक बूंद अमृत होती है| बसंत पंचमी के दिन से प्रकृति का कण-कण खिल उठता है| वसन्त पञ्चमी के समय सरसों के पीले-पीले फूलों से आच्छादित धरती की छटा देखते ही बनती है| प्रकृति इस दिन अपना शृंगार स्वयं करती है|
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बसंत पंचमी के दिन भगवान श्रीराम भीलनी शबरी की कुटिया में पधारे थे|
कुछ लोक-कथाओं के अनुसार बालक श्रीकृष्ण ने बसंत पंचमी के दिन श्रीराधा जी का शृंगार किया था|
राजा भोज का जन्मदिवस वसंत पंचमी को ही आता हैं| राजा भोज इस दिन एक बड़ा उत्सव करवाते थे जिसमें पूरी प्रजा के लिए एक बड़ा प्रीतिभोज रखा जाता था जो चालीस दिन तक चलता था|
बसंत पंचमी के ही दिन पृथ्वीराज चौहान ने तवे पर हुई चोट और चंदबरदाई के संकेत से अनुमान लगाकर जो बाण मारा, वह मोहम्मद ग़ोरी के सीने में जा धंसा था| इसके बाद चंदबरदाई और पृथ्वीराज ने भी एक दूसरे के पेट में छुरा भौंककर आत्मबलिदान दे दिया था|
२३-०२-१७३४ बसंत पंचमी के ही दिन वीर बालक हकीकत राय ने अपना बलिदान दिया और उनकी पत्नी लक्ष्मी देवी सती हुईं|
१८१६ ई.की बसंत पंचमी के दिन गुरु रामसिंह कूका का जन्म हुआ था| उनके ५० शिष्यों को १७ जनवरी १८७२ को मलेरकोटला में अंग्रेजों ने तोपों के मुंह से बांधकर उड़ा दिया, और बचे हुए १८ शिष्यों को फांसी दे दी| उन्हें मांडले की जेल में भेज दिया गया जहाँ घोर अत्याचार सहकर १८८५ में उन्होने अपना शरीर त्याग दिया|
वसन्त पंचमी के ही दिन हिन्दी साहित्य की अमर विभूति महाकवि सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' का जन्म २८-०२-१८९९ को हुआ था| श्रद्धा से लोग उन्हें 'महाप्राण' कहते थे|
पुनश्च: आप सब को नमन और बसंत-पंचमी की शुभ कामनाएँ| "ॐ ऐं"
२९ जनवरी २०२०
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