इस राष्ट्र भारतवर्ष में धर्म रूपी बैल पर बैठकर भगवान शिव ही विचरण करेंगे, भगवान श्रीराम के धनुष की ही टंकार सुनेगी और नवचेतना को जागृत करने हेतु भगवान श्रीकृष्ण की ही बांसुरी बजेगी| सनातन धर्म की पुनर्प्रतिष्ठा होगी व असत्य और अन्धकार की शक्तियों का निश्चित रूप से पराभव होगा|
हमारे हृदय के एकमात्र राजा भगवान श्रीराम हैं| उन्होंने ही सदा हमारी ह्रदय भूमि पर राज्य किया है, और सदा वे ही हमारे राजा रहेंगे| अन्य कोई हमारा राजा नहीं हो सकता| हमारे ह्रदय की एकमात्र महारानी सीता जी हैं| वे हमारे ह्रदय की अहैतुकी परम प्रेमरूपा भक्ति हैं| वे ही हमारी गति हैं| वे ही सब भेदों को नष्ट कर हमें राम से मिला सकती हैं, अन्य किसी में ऐसा सामर्थ्य नहीं है| हमारे शत्रु कहीं बाहर नहीं, हमारे भीतर ही अवचेतन मन में छिपे बैठे विषय-वासना रुपी रावण और प्रमाद व दीर्घसूत्रता रूपी महिषासुर हैं|
राम से एकाकार होने तक इस ह्रदय की प्रचंड अग्नि का दाह नहीं मिटेगा, और राम से पृथक होने की यह घनीभूत पीड़ा हर समय निरंतर दग्ध करती रहेगी| राम ही हमारे अस्तित्व हैं और उनसे एक हुए बिना इस भटकाव का अंत नहीं होगा| उन से जुड़कर ही हमारी वेदना का अंत होगा|
अपनी अस्मिता की रक्षा के लिए हमें स्वयं को भी और निर्वीर्य हो चुके असंगठित बिखरे हुए बलहीन समाज को भी संगठित व शक्तिशाली बनाना होगा| इसके लिए सूक्ष्म दैवीय शक्तियों की सहायता भी लेनी होगी| सिर्फ जयजयकार करने से काम नहीं चलेगा| निज जीवन में देवत्व को व्यक्त करना होगा| तभी हम स्वयं की, समाज की और धर्म की रक्षा कर सकेंगे|
ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
१५ दिसंबर २०१९
कृपा शंकर
१५ दिसंबर २०१९
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