Friday, 27 December 2019

जीसस क्राइस्ट का जन्मदिन 25 दिसंबर को ही क्यों मनाया जाता है? ....।

जीसस क्राइस्ट का जन्मदिन 25 दिसंबर को ही क्यों मनाया जाता है?
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जीसस क्राइस्ट के जन्म दिवस का कोई प्रमाण नहीं है, बाइबल की किसी भी पुस्तक में उनके जन्मदिवस का उल्लेख नहीं है| ईसा की तीसरी शताब्दी तक जीसस का जन्मदिवस नहीं मनाया जाता था| जहाँ तक प्रमाण मिलते हैं 336 AD से इसकी मान्यता के पीछे रोमन सम्राट कोन्स्टेंटाइन द ग्रेट की भूमिका है| उनका जन्म 27 फरवरी 272 AD को सर्बिया में हुआ था, और उनकी मृत्यु 22 मई 337 AD को निकोमीडिया में हुई| वे सूर्य के उपासक थे और जिस मत को मानते थे उसे Pagan कहा जाता था जिसका अर्थ है 'मूर्तिपूजक'| उन्होने ईसाई मत का प्रयोग अपने साम्राज्य के विस्तार के लिए किया, और कोन्स्टेंटिनपोल (कुस्तुनतुनिया) (वर्तमान इस्तांबूल जो तुर्की में है) को 324 AD में बसाया| वे पहले रोमन शासक थे जिन्हें ईसाई बनाया गया था| 'दा विंसी कोड' के अनुसार जब वे मर रहे थे और अपनी मृत्यु शैया पर असहाय थे तब पादरियों ने बलात् उन का बपतिस्मा कर दिया| उन दिनों पृथ्वी के उत्तरी गोलार्ध में 24 दिसंबर वर्ष का सबसे छोटा दिन होता था (अब 21दिसंबर), और 25 दिसंबर (अब 22 दिसंबर) से दिन बड़े होने प्रारम्भ हो जाते थे| सूर्योपासक होने के नाते कोन्स्टेंटाइन द ग्रेट ने यह तय किया कि 25 दिसंबर को ही जीसस क्राइस्ट का जन्मदिन मनाया जाये क्योंकि 25 दिसंबर से बड़े दिन होने प्रारम्भ हो जाते हैं| तभी से 25 दिसंबर को क्रिसमिस मनाई जाती है|
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25 दिसंबर के बारे में दूसरी मान्यता यह है कि उस दिन रोम के मूर्तिपूजक श्रद्धालु लोग 'शनि' (Saturn) नाम के देवता की आराधना करते थे| शनि को कृषि का देवता माना जाता था| उसी दिन फारस के लोग "मित्र" (Mithra) नाम के देवता की आराधना करते थे जिसे प्रकाश का देवता माना जाता था| अतः तत्कालीन पादरियों ने यह तय किया इसी दिन को यदि जीसस का जन्मदिन भी मनाया जाये तो रोमन और फारसी लोग इसे तुरंत स्वीकार कर लेंगे| इस आधार पर ईसाईयत को रोम का आधिकारिक मत और 25 दिसम्बर को आधिकारिक रूप से जीसस क्राइस्ट का जन्म दिन मनाया जाने लगा|
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संयुक्त राज्य अमेरिका में सन 1870 ई.तक क्रिसमिस को एक ब्रिटिश परंपरा मान कर नहीं मनाया जाता था| सन 1870 ई.से इसे आधिकारिक रूप से मनाया जाने लगा| 24 दिसंबर की पूरी रात श्रद्धालु लोग जागकर क्रिसमस के भजन गाते हैं जिन्हें Christmas carols कहते हैं| स्पेन और पुर्तगाल की परंपरा में इसे नाच गा कर मनाते हैं| भारत में पुर्तगालियों का प्रभाव रोमन कैथॉलिकों पर अधिक है विशेषकर गोआ और मुंबई में| इसलिए इस त्योहार को शराब पी कर और नाच गा कर मनाया जाता है| 25 दिसंबर को क्रिसमस की पार्टी में टर्की नाम के एक पक्षी का मांस और शराब परोसी जाती है| इस दिन एक-दूसरे को खूब उपहार भी दिये जाते हैं| सैंटा क्लोज वाली कहानी तो कपोल कल्पित और बच्चों को बहलाने वाली है| यह स्कैंडेनेवियन देशों जहाँ बर्फ खूब पड़ती है से आरंभ हुई परंपरा है|
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मेरी मान्यता :--- मेरी मान्यता है कि भगवान के भजन का कोई न कोई तो बहाना चाहिए ही| मैं विशुद्ध शाकाहारी हूँ और कोई नशा नहीं करता इसलिए कोई नशा या मांसाहार का तो प्रश्न ही नहीं है| इस दिन यथासंभव भगवान का खूब ध्यान और भजन करेंगे| मैं मानता हूँ कि जीसस क्राइस्ट ने भारत में रहकर शिक्षा ग्रहण की और सनातन धर्म की शिक्षाओं का ही फिलिस्तीन में प्रचार किया जहाँ आध्यात्मिक रूप से अज्ञान रूपी अंधकार ही अंधकार था| उन की शिक्षायें समय के साथ विकृत हो गईं| क्रिश्चियनिटी वास्तव में कृष्णनीति है| जब उन्हें शूली पर चढ़ाया गया तब वे मरे नहीं थे| उन्हें बचा लिया गया और वे अपने कबीले के साथ भारत आ गये| कश्मीर के पहलगाँव में उन्होने देह-त्याग किया| उनकी माँ मरियम का देहांत पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के मरी नाम के स्थान पर हुआ था जहाँ उन की कब्र भी है और उन के नाम पर ही उस स्थान का नाम 'मरी' है| 'दा विंसी कोड' के अनुसार उन की पत्नी मार्था और पुत्री सारा को यहूदी लोग सुरक्षित रूप से फ्रांस ले गये थे, जहाँ उन की मजार की एक संप्रदाय विशेष ने रक्षा की जिन्हें बाद में एक दूसरे संप्रदाय ने मरवा दिया|
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सार की बात यह है कि उन्होने भगवान श्रीकृष्ण की ही शिक्षा का ही प्रसार किया| इस दिन मेरे अनेक मित्र 12 घंटे भगवान का ध्यान करेंगे| अतः मैं भी पूरा प्रयास करूंगा उनका साथ देने में| आप सब मुझे अपना आशीर्वाद प्रदान करें|
"वसुदेवसुतं देवं कंसचाणूरमर्दनम् | देवकीपरमानन्दं कृष्णं वंदे जगद्गुरुम् ||"
"वंशी विभूषित करा नवनीर दाभात्, पीताम्बरा दरुण बिंब फला धरोष्ठात् |
पूर्णेन्दु सुन्दर मुखादर बिंदु नेत्रात्, कृष्णात परम किमपि तत्व अहं न जानि ||"
"ॐ कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने, प्रणत क्लेशनाशाय गोविंदाय नमो नम:||"
"ॐ नमो ब्रह्मण्य देवाय गो ब्राह्मण हिताय च, जगद्धिताय कृष्णाय गोविन्दाय नमो नमः||"
"मूकं करोति वाचालं पंगुं लंघयते गिरिम् । यत्कृपा तमहं वन्दे परमानन्दमाधवम्||"
"कस्तुरी तिलकम् ललाटपटले, वक्षस्थले कौस्तुभम् ,
नासाग्रे वरमौक्तिकम् करतले, वेणु करे कंकणम् |
सर्वांगे हरिचन्दनम् सुललितम्, कंठे च मुक्तावलि |
गोपस्त्री परिवेश्तिथो विजयते, गोपाल चूडामणी ||"
"ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ||"
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ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
२३ दिसंबर २०१९

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