आज १९ मई २०२३ को ग्रेगोरियन कलेंडर (अंग्रेजी तिथि) के अनुसार मेरे पाणिग्रहण संस्कार (परिणयोत्सव/विवाह) की ५०वीं वर्षगाँठ है। इस अवसर पर बधाई और अभिनंदन करने वाले सभी मित्रों व स्नेही जनों को मेरा सादर नमन, धन्यवाद और शुभ आशीर्वाद! आप सब का यश और कीर्ति अमर रहे। परमात्मा की महती कृपा आप सब पर सदा बनी रहे, और आप सब का जीवन परम मंगलमय हो।
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जैसे पृथ्वी चन्द्रमा को साथ लेकर सूर्य की परिक्रमा करती है वैसे ही एक गृहस्थ व्यक्ति अपनी चेतना में अपने परिवार के साथ एकाकार होकर परमात्मा की उपासना करता है।
आध्यात्मिक दृष्टि से पूरी सृष्टि ही मेरा परिवार है, जिसके साथ एकाकार होकर मैं परमात्मा के साथ एक हूँ।
लौकिक रूप से आप सब परमात्मा के साकार रूप हैं। आप सब में व्यक्त परमात्मा को नमन करता हुआ आप सब के आशीर्वाद की प्रार्थना करता हूँ।
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१९ मई १९७३ को मेरा पाणिग्रहण संस्कार / परिणय / विवाह जिन देवी-स्वरूपा से हुआ था, जीवन की हर परिस्थिति में उन्होंने मेरा साथ दिया, और उन्हीं की सेवा के फलस्वरूप आज मैं जीवित और स्वस्थ हूँ। ऐसा ही मधुर दाम्पत्य जीवन सभी का हो।
मंगलमय शुभ कामनाएँ!!
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ॐ आ नो भद्राः क्रतवो यन्तु विश्वतोऽदब्धासो अपरीतास उद्भिदः।
देवा नोयथा सदमिद् वृधे असन्नप्रायुवो रक्षितारो दिवेदिवे॥
स्वस्ति न इन्द्रो वृद्धश्रवाः स्वस्ति नः पूषा विश्ववेदाः।
स्वस्ति नस्तार्क्ष्यो अरिष्टनेमिः स्वस्ति नो बृहस्पतिर्दधातु ॥
ॐ सहनाववतु सह नौ भुनक्तु सह वीर्यं करवावहै।
तेजस्वि नावधीतमस्तु मा विद्विषावहै॥
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः॥
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ॐ तत्सत् !! ॐ स्वस्ति !! 













कृपा शंकर
१९ मई २०२३
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