वह क्या है -- जिसे जानने के पश्चात अन्य कुछ भी जानने योग्य नहीं रहता? जिसे पाने के पश्चात अन्य कुछ भी पाने योग्य नहीं बचता? जिस से हमारा जीवन तृप्त और धन्य हो जाये!!
.
जिसे प्यास लगी हो, वही पानी पीता है, अन्य कोई नहीं। जैसे चुंबक की सूई की नोक सदा उत्तर दिशा की ओर ही रहती है, वैसे ही हमारी चेतना निरंतर परमात्मा की ओर रहे। वह कहीं दूर नहीं, हमारे समक्ष है, जिसे देखने के लिए अंतर्दृष्टि, अतृप्त प्यास और घनी तड़प चाहिए।







२० मई २०२२
No comments:
Post a Comment