आज मुझे यह देखकर बड़ी पीड़ा हुई कि हमारे बच्चों को संस्कृत में गीता के श्लोकों का सही उच्चारण करना नहीं आता| गीता का ज्ञान ब्रह्मज्ञान है, और हर वाक्य ब्रह्मवाक्य है| अतः ब्रह्मवाक्य का उच्चारण तो सही होना चाहिए| देवनागरी लिपि में लिखी हिंदी का जिस तरह से हम उच्चारण करते हैं, वैसा संस्कृत में नहीं होता| संस्कृत में उच्चारण करने का तरीका कुछ अलग होता है|
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आजकल विद्यालयों की छुट्टियाँ चल रही हैं| मेरी सभी से प्रार्थना है कि इन छुट्टियों में बच्चों को सही और शुद्ध गीता का पाठ करना सिखाएँ| गीता का सही व शुद्ध उच्चारण कर के नियमित पढने से बच्चे कुशाग्र बुद्धि होंगे| हमें अपनी संस्कृति, धर्म और परम्पराओं का पूर्ण सम्मान करना चाहिए|
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किसी भी मन्त्र का लाभ उसके सही व शुद्ध उच्चारण से ही होता है| गायत्री मन्त्र का लाभ भी तभी होगा जब हम उसका शुद्ध व सही उच्चारण करेंगे| अतः सभी को संस्कृत भाषा का सही व शुद्ध उच्चारण करना सीखना चाहिए| सधन्यवाद !
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कृपा शंकर
ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
१९ मई २०१८
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