चंद्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यमः ........
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जब भगवान चंद्रशेखर का आश्रय मिल जाए तो यमराज किसी का क्या बिगाड़ लेगा ? मार्कंडेय के समक्ष उनके प्राण हरने यमराज आये तो मार्कंडेय ने भगवान चंद्रशेखर का आश्रय लिया और अनेक कल्पों के लिए अमर हो गए| भगवान शिव की मानस कन्या नर्मदा के वे आज भी द्वारपाल है| नर्मदा की परिक्रमा उनकी आशीर्वाद से ही पूर्ण होती है| अनेक कल्प बीत जायेंगे पर वे सदा अमर ही रहेंगे|
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चंद्रशेखर चंद्रशेखर चंद्रशेखर पाहिमाम् ।
चंद्रशेखर चंद्रशेखर चंद्रशेखर रक्षमाम् ॥
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रत्नसानु शरासनं रजताद्रि शृंग निकेतनं
शिंजिनीकृत पन्नगेश्वर मच्युतानल सायकम् ।
क्षिप्रदग्द पुरत्रयं त्रिदशालयै रभिवंदितं
चंद्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यमः ॥ १ ॥
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मत्तवारण मुख्यचर्म कृतोत्तरीय मनोहरं
पंकजासन पद्मलोचन पूजितांघ्रि सरोरुहम् ।
देव सिंधु तरंग श्रीकर सिक्त शुभ्र जटाधरं
चंद्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यमः ॥ २ ॥
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कुंडलीकृत कुंडलीश्वर कुंडलं वृषवाहनं
नारदादि मुनीश्वर स्तुतवैभवं भुवनेश्वरम् ।
अंधकांतक माश्रितामर पादपं शमनांतकं
चंद्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यमः ॥ ३ ॥
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पंचपादप पुष्पगंध पदांबुज द्वयशोभितं
फाललोचन जातपावक दग्ध मन्मध विग्रहम् ।
भस्मदिग्द कलेबरं भवनाशनं भव मव्ययं
चंद्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यमः ॥ ४ ॥
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यक्ष राजसखं भगाक्ष हरं भुजंग विभूषणम्
शैलराज सुता परिष्कृत चारुवाम कलेबरम् ।
क्षेल नीलगलं परश्वध धारिणं मृगधारिणम्
चंद्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यमः ॥ ५ ॥
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भेषजं भवरोगिणा मखिलापदा मपहारिणं
दक्षयज्ञ विनाशनं त्रिगुणात्मकं त्रिविलोचनम् ।
भुक्ति मुक्ति फलप्रदं सकलाघ संघ निबर्हणं
चंद्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यमः ॥ ६ ॥
.
विश्वसृष्टि विधायकं पुनरेवपालन तत्परं
संहरं तमपि प्रपंच मशेषलोक निवासिनम् ।
क्रीडयंत महर्निशं गणनाथ यूथ समन्वितं
चंद्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यमः ॥ ७ ॥
.
भक्तवत्सल मर्चितं निधिमक्षयं हरिदंबरं
सर्वभूत पतिं परात्पर मप्रमेय मनुत्तमम् ।
सोमवारिन भोहुताशन सोम पाद्यखिलाकृतिं
चंद्रशेखर एव तस्य ददाति मुक्ति मयत्नतः ॥ ८ ॥
.
!!ॐ नमः शिवाय !!
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जब भगवान चंद्रशेखर का आश्रय मिल जाए तो यमराज किसी का क्या बिगाड़ लेगा ? मार्कंडेय के समक्ष उनके प्राण हरने यमराज आये तो मार्कंडेय ने भगवान चंद्रशेखर का आश्रय लिया और अनेक कल्पों के लिए अमर हो गए| भगवान शिव की मानस कन्या नर्मदा के वे आज भी द्वारपाल है| नर्मदा की परिक्रमा उनकी आशीर्वाद से ही पूर्ण होती है| अनेक कल्प बीत जायेंगे पर वे सदा अमर ही रहेंगे|
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चंद्रशेखर चंद्रशेखर चंद्रशेखर पाहिमाम् ।
चंद्रशेखर चंद्रशेखर चंद्रशेखर रक्षमाम् ॥
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रत्नसानु शरासनं रजताद्रि शृंग निकेतनं
शिंजिनीकृत पन्नगेश्वर मच्युतानल सायकम् ।
क्षिप्रदग्द पुरत्रयं त्रिदशालयै रभिवंदितं
चंद्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यमः ॥ १ ॥
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मत्तवारण मुख्यचर्म कृतोत्तरीय मनोहरं
पंकजासन पद्मलोचन पूजितांघ्रि सरोरुहम् ।
देव सिंधु तरंग श्रीकर सिक्त शुभ्र जटाधरं
चंद्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यमः ॥ २ ॥
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कुंडलीकृत कुंडलीश्वर कुंडलं वृषवाहनं
नारदादि मुनीश्वर स्तुतवैभवं भुवनेश्वरम् ।
अंधकांतक माश्रितामर पादपं शमनांतकं
चंद्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यमः ॥ ३ ॥
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पंचपादप पुष्पगंध पदांबुज द्वयशोभितं
फाललोचन जातपावक दग्ध मन्मध विग्रहम् ।
भस्मदिग्द कलेबरं भवनाशनं भव मव्ययं
चंद्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यमः ॥ ४ ॥
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यक्ष राजसखं भगाक्ष हरं भुजंग विभूषणम्
शैलराज सुता परिष्कृत चारुवाम कलेबरम् ।
क्षेल नीलगलं परश्वध धारिणं मृगधारिणम्
चंद्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यमः ॥ ५ ॥
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भेषजं भवरोगिणा मखिलापदा मपहारिणं
दक्षयज्ञ विनाशनं त्रिगुणात्मकं त्रिविलोचनम् ।
भुक्ति मुक्ति फलप्रदं सकलाघ संघ निबर्हणं
चंद्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यमः ॥ ६ ॥
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विश्वसृष्टि विधायकं पुनरेवपालन तत्परं
संहरं तमपि प्रपंच मशेषलोक निवासिनम् ।
क्रीडयंत महर्निशं गणनाथ यूथ समन्वितं
चंद्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यमः ॥ ७ ॥
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भक्तवत्सल मर्चितं निधिमक्षयं हरिदंबरं
सर्वभूत पतिं परात्पर मप्रमेय मनुत्तमम् ।
सोमवारिन भोहुताशन सोम पाद्यखिलाकृतिं
चंद्रशेखर एव तस्य ददाति मुक्ति मयत्नतः ॥ ८ ॥
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!!ॐ नमः शिवाय !!
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