Monday, 30 October 2017

बोल्शेविक क्रांति का शताब्दी वर्ष ......

बोल्शेविक क्रांति का शताब्दी वर्ष ......
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२५ अक्टूबर १९१७ को वोल्गा नदी में खड़े रूसी युद्धपोत औरोरा से एक सैनिक विद्रोह के रूप में आरम्भ हुई रूस की बोल्शेविक क्रांति का यह शताब्दी वर्ष चल रहा है| पिछले सौ वर्षों में हुई यह विश्व की सबसे बड़ी घटना थी जिसने पूरे विश्व को प्रभावित किया|
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मैं कम्युनिष्ट नहीं हूँ, मार्क्सवाद में नहीं, वेदान्त दर्शन में पूर्ण आस्था रखता हूँ, पर जीवन की युवावस्था में एक ऐसा समय अवश्य था जब मार्क्सवाद के प्रभाव से अछूता नहीं रहा था| शायद ही कोई युवा उस समय ऐसा रहा होगा जिस पर मार्क्सवाद की छाया नहीं पड़ी हो|
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समाज में व्याप्त अन्याय, अभाव और वर्गसंघर्ष की भावना ही मार्क्सवाद को जन्म देती है| यह एक घोर भौतिक और आध्यात्म विरोधी विचारधारा है| विश्व को इसके अनुभव से निकलना ही था| इस विचारधारा ने अन्याय और अभाव से पीड़ित विश्व में एक समता की आशा जगाई पर कालांतर में सभी को निराश किया|
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इस विचारधारा का उद्गम ब्रिटेन से हुआ पर ब्रिटेन में इसका प्रभाव शून्य था| रूस उस समय एक ऐसा देश था जहाँ विषमता, अन्याय, शोषण और अभावग्रस्तता बहुत अधिक थी| व्लादिमीर इल्यिच उलियानोव लेनिन एक ऊर्जावान और ओजस्वी वक्ता था जिसने रूस में इस विचार को फैलाया| लेनिन का जन्म १० अप्रेल १८७० को सिम्बर्स्क (रूस) में हुआ था| सन १८९१ में इसने क़ानून की पढाई पूरी की| अपने उग्र विचारों के कारण यह रूस से बाहर निर्वासित जीवन जी रहा था| रूसी शासक जार निकोलस रोमानोव ने इसके भाई को मरवा दिया था अतः यह जार के विरुद्ध एक बदले की भावना से भी ग्रस्त था|
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इसी के प्रयास से (और कुछ पश्चिमी शक्तियों की अप्रत्यक्ष सहायता से) सोवियत सरकार की स्थापना हुई और रूस एक कमजोर देश से विश्व की महाशक्ति बना| मार्क्स के विचारों को मूर्त रूप लेनिन ने ही दिया| मार्क्सवाद की स्थापना के लिए करोड़ों लोगों की हत्याएँ हुईं, बहुत अधिक अन्याय भी हुआ| पूरे विश्व में यह विचारधारा फ़ैली, कई देशों में मार्क्सवादी सरकारें भी बनीं, पर अंततः यह विचारधारा विफल ही सिद्ध हुई क्योंकि यह घोर भौतिक विचारधारा थी|
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७ नवम्बर १९१७ को सोवियत सरकार स्थापित हुई थी अतः विधिवत रूप से ७ नवम्बर को ही बोल्शेविक क्रांति दिवस के रूप में रूस में मनाया जाता था| २१ जनवरी १९२४ को लेनिन की मृत्यु हुई| उसके बाद स्टालिन ने सोवियत संघ पर राज्य किया| स्टालिन रूसी नहीं था, जॉर्जियन था (जॉर्जिया अब रूस से अलग देश है)| निरंकुश निर्दयी तानाशाह स्टालिन को ही द्वितीय विश्वयुद्ध जीतने और मार्क्सवादी विचारधारा को फैलाने का श्रेय जाता है|
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सन १९९१ में सोवियत संघ के पतन के बाद रूसी सरकार ने मार्क्सवाद को अस्वीकार कर दिया पर विश्व में विशेषकर भारत में इसका प्रभाव अभी भी है|
चीन में भी कम्युनिज्म व्यवहारिक रूप से समाप्त हो गया है| अब कम्युनिष्ट सता विश्व में कहीं भी नहीं है| कल मैंने बोल्शेविक क्रांति पर एक विस्तृत पोस्ट भी डाली थी|
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सभी को नमन ! शुभ कामनाएँ | ॐ ॐ ॐ !!

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