Wednesday, 18 October 2017

प्राचीन भारत की वैदिक राष्ट्र प्रार्थना ......

प्राचीन भारत की वैदिक राष्ट्र प्रार्थना ......
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"आ ब्रह्मण ब्राह्मणो ब्रह्मवर्चसी जायतां राष्ट्रे राजन्यः शूर इषव्योतिव्याधि महारथो जायतां दोग्ध्री धेनुर्वोढानडवानाशुः सप्ति पुरन्धिर्योषाः जिष्णु रथेष्ठा सभेयो युवास्य यजमानस्य वीरो जायतां निकामे निकामे न पर्जन्यो वर्षतु फलवत्यो न ओषधयः पच्यतां योगक्षेमो न कल्पतां"
- यजुर्वेद 22, 22
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||ॐ|| इस राष्ट्र में ब्रह्मतेजयुक्त ब्राह्मण उत्पन्न हों| धनुर्धर, शूर और बाण आदि का उपयोग करने वाले कुशल क्षत्रिय पैदा हों| अधिक दूध देने वाली गायें हों| अधिक बोझ ढो सकें ऐसे बैल हों| ऐसे घोड़े हों जिनकी गति देखकर पवन भी शर्मा जाये| राष्ट्र को धारण करने वाली बुद्धिमान तथा रूपशील स्त्रियां पैदा हों| विजय संपन्न करने वाले महारथी हों| समय समय पर अच्छी वर्षा हो, वनस्पति, वृक्ष और उत्तम फल हों| हमारा योगक्षेम सुखमय बने| ||ॐ ॐ ॐ ||


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