>>>>> आज का दिन ज्ञान के प्रकाश से जगमगाने का दिन है .....
.
आज रूप चतुर्दशी है जिसे नर्क चतुर्दशी व छोटी दीपावली भी कहते हैं| आज के दिन भगवान श्रीकृष्ण ने अत्याचारी और दुराचारी नरकासुर का वध किया था और सोलह हजार एक सौ कन्याओं को नरकासुर के बंदी गृह से मुक्त कर उन्हें सम्मान प्रदान किया था| इस युद्ध में उनके साथ उनकी पत्नी सत्यभामा भी थी| कुछ समय के लिए जब भगवान श्रीकृष्ण मूर्छित हो गए, उस समय सत्यभामा ने अपने दिव्यास्त्रों के साथ नरकासुर से युद्ध किया|
इस दिन के बारे में एक कथा पुण्यात्मा और धर्मात्मा राजा रंतिदेव के बारे भी है|
बंगाल में यह दिन काली चौदस के नाम से जाना जाता है|
एक कथा के अनुसार इस दिन भगवान विष्णु ने वामन अवतार धारण करके देवताओं को राजा बलि के आतंक से मुक्ति दिलाई थी| भगवान ने राजा बलि से वामन अवतार के रूप में तीन पैर जितनी जमीन दान के रूप में मांगकर उसका अंत किया था| राजा बलि के बहुत ज्ञानी होने के कारण भगवान विष्णु ने उसे साल में एक दिन याद किये जाने का वरदान दिया था| अतः नरक चतुर्दशी ज्ञान के प्रकाश से जगमगाने का दिन माना जाता है|
इस दिन हनुमान जी की भी विशेष पूजा उनके भक्त करते हैं|
.
आज रूप निखारने का दिन है| आज रूप चतुर्दशी के दिन सूर्योदय से पूर्व शरीर पर तेल व उबटन लगा कर एक बाल्टी में जल भरकर उसमें अपामार्ग के पौधे का टुकड़ा डाल कर उस जल से स्नान करने का महत्त्व है| अपामार्ग का पौधा न मिले तो एक बहुत ही कड़वा फल रखते हैं| सूर्योदय से पूर्व स्नान करते समय स्नानागार में एक दीपक भी जलाने की प्रथा रही है|
.
आज के दिन तेल उबटन लगाकर सूर्योदय से पूर्व स्नान करने से देह रूपवान हो जायेगी| रूप चौदस का दिन बहुत ही शुभ दिन है अतः प्रसन्न रहकर भक्तिभाव से अपने इष्ट की उपासना करें|
.
ॐ तत्सत् | ॐ ॐ ॐ ||
.
आज रूप चतुर्दशी है जिसे नर्क चतुर्दशी व छोटी दीपावली भी कहते हैं| आज के दिन भगवान श्रीकृष्ण ने अत्याचारी और दुराचारी नरकासुर का वध किया था और सोलह हजार एक सौ कन्याओं को नरकासुर के बंदी गृह से मुक्त कर उन्हें सम्मान प्रदान किया था| इस युद्ध में उनके साथ उनकी पत्नी सत्यभामा भी थी| कुछ समय के लिए जब भगवान श्रीकृष्ण मूर्छित हो गए, उस समय सत्यभामा ने अपने दिव्यास्त्रों के साथ नरकासुर से युद्ध किया|
इस दिन के बारे में एक कथा पुण्यात्मा और धर्मात्मा राजा रंतिदेव के बारे भी है|
बंगाल में यह दिन काली चौदस के नाम से जाना जाता है|
एक कथा के अनुसार इस दिन भगवान विष्णु ने वामन अवतार धारण करके देवताओं को राजा बलि के आतंक से मुक्ति दिलाई थी| भगवान ने राजा बलि से वामन अवतार के रूप में तीन पैर जितनी जमीन दान के रूप में मांगकर उसका अंत किया था| राजा बलि के बहुत ज्ञानी होने के कारण भगवान विष्णु ने उसे साल में एक दिन याद किये जाने का वरदान दिया था| अतः नरक चतुर्दशी ज्ञान के प्रकाश से जगमगाने का दिन माना जाता है|
इस दिन हनुमान जी की भी विशेष पूजा उनके भक्त करते हैं|
.
आज रूप निखारने का दिन है| आज रूप चतुर्दशी के दिन सूर्योदय से पूर्व शरीर पर तेल व उबटन लगा कर एक बाल्टी में जल भरकर उसमें अपामार्ग के पौधे का टुकड़ा डाल कर उस जल से स्नान करने का महत्त्व है| अपामार्ग का पौधा न मिले तो एक बहुत ही कड़वा फल रखते हैं| सूर्योदय से पूर्व स्नान करते समय स्नानागार में एक दीपक भी जलाने की प्रथा रही है|
.
आज के दिन तेल उबटन लगाकर सूर्योदय से पूर्व स्नान करने से देह रूपवान हो जायेगी| रूप चौदस का दिन बहुत ही शुभ दिन है अतः प्रसन्न रहकर भक्तिभाव से अपने इष्ट की उपासना करें|
.
ॐ तत्सत् | ॐ ॐ ॐ ||
रूप चतुर्दशी पर ब्रह्ममुहूर्त में सूर्योदय से पूर्व उबटन लगा कर स्नान करना चाहिए, और स्नान करते समय पैरों के नीचे या पास में एक गड़तुम्बे (इन्द्रायण) का फल भी रखना चाहिए| इस से रूप में प्राकृतिक निखार आता है|
ReplyDeleteकल छोटी दीपावली है, इसे नरकासुर चतुर्दशी भी कहते हैं, रूप चतुर्दशी भी कहते हैं| पुराने जमाने में इस दिन ब्रह्ममुहूर्त में सूर्योदय से पूर्व पूरे शरीर पर उबटन रगड़ कर फिर नहाने की परम्परा थी| बचपन से किशोरावस्था तक की अवस्था में जब तक माँ-बाप के अनुशासन में थे मुझे अच्छी तरह याद है कि इस दिन प्रातःकाल शीघ्र उठ कर शौचादि से निवृत हो, स्नानघर में एक दीपक जलाकर (क्योंकि बिजली नहीं होती थी) लकड़ी के पाटे पर बैठकर पूरे शरीर पर उबटन रगड़ते और फिर स्नान करते| पास में पैरों के नीचे एक गड़तुम्बे (इन्द्रायण) का फल भी दबाकर रखते थे, पता नहीं इसका क्या महत्त्व था| अब पता चल रहा है कि यह गड़तुम्बा औषधियों का भण्डार है| इसको पैरों से दबाकर रखते हुए स्नान करने से वास्तव में रूप में निखार आ जाता था| किसी को मधुमेह यानी डायबिटीज होता तो रोगी नित्य चार-पांच गड़तुम्बे के फलों को अपने पैरों से रौंदता और कुछ दिनों में मधुमेह से मुक्ति मिल जाया करती थी| आजकल तो यह फल दिखाई ही नहीं देता| पहले तो इसकी जंगली बेल अपने आप खेतों में खूब लग जाया करती थी| अब घास न उगने की जो दवा डालते हैं उससे कई तरह की वनस्पतियाँ ही नष्ट हो गयी हैं जिन में यह गड़तुम्बा भी है|
.