Wednesday, 18 October 2017

अहोई अष्टमी पर माताओं को नमन ....

उन सब श्रद्धालु माताओं को नमन जो आज अपनी संतान की लम्बी आयु के लिए अहोई अष्टमी का व्रत रख रही हैं|
अपने पति के लिए ही नहीं पुत्र के लिए भी यह साधना और त्याग केवल एक भारतीय नारी ही कर सकती है|

जयशंकर प्रसाद की कुछ पंक्तियाँ उद्धृत कर रहा हूँ ......
"इस अर्पण में कुछ और नहीं, केवल उत्सर्ग छलकता है |
मैं दे दूँ और न फिर कुछ लूँ, इतना ही सरल झलकता है ||
क्या कहती हो ठहरो नारी ! संकल्प अश्रु-जल-से-अपने |
तुम दान कर चुकी पहले ही, जीवन के सोने-से सपने ||
नारी ! तुम केवल श्रद्धा हो, विश्वास-रजत-नग पगतल में |
पीयूष-स्रोत-सी बहा करो, जीवन के सुंदर समतल में ||"

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