उन सब श्रद्धालु माताओं को नमन जो आज अपनी संतान की लम्बी आयु के लिए
अहोई अष्टमी का व्रत रख रही हैं|
अपने पति के लिए ही नहीं पुत्र के लिए भी यह साधना और त्याग केवल एक भारतीय नारी ही कर सकती है|
जयशंकर प्रसाद की कुछ पंक्तियाँ उद्धृत कर रहा हूँ ......
"इस अर्पण में कुछ और नहीं, केवल उत्सर्ग छलकता है |
मैं दे दूँ और न फिर कुछ लूँ, इतना ही सरल झलकता है ||
क्या कहती हो ठहरो नारी ! संकल्प अश्रु-जल-से-अपने |
तुम दान कर चुकी पहले ही, जीवन के सोने-से सपने ||
नारी ! तुम केवल श्रद्धा हो, विश्वास-रजत-नग पगतल में |
पीयूष-स्रोत-सी बहा करो, जीवन के सुंदर समतल में ||"
अपने पति के लिए ही नहीं पुत्र के लिए भी यह साधना और त्याग केवल एक भारतीय नारी ही कर सकती है|
जयशंकर प्रसाद की कुछ पंक्तियाँ उद्धृत कर रहा हूँ ......
"इस अर्पण में कुछ और नहीं, केवल उत्सर्ग छलकता है |
मैं दे दूँ और न फिर कुछ लूँ, इतना ही सरल झलकता है ||
क्या कहती हो ठहरो नारी ! संकल्प अश्रु-जल-से-अपने |
तुम दान कर चुकी पहले ही, जीवन के सोने-से सपने ||
नारी ! तुम केवल श्रद्धा हो, विश्वास-रजत-नग पगतल में |
पीयूष-स्रोत-सी बहा करो, जीवन के सुंदर समतल में ||"
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