दृढ़ निश्चयपूर्वक परमात्मा को समर्पण ......
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नदी का विलय जब महासागर में हो जाता है तब नदी का कोई नाम-रूप नहीं रहता, सिर्फ महासागर ही महासागर रहता है | वैसे ही जीवात्मा जब परमात्मा में समर्पित हो जाती है, तब जीवात्मा का कोई पृथक अस्तित्व नहीं रहता, सिर्फ परमात्मा ही परमात्मा रहते हैं |
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मनुष्य देह सर्वश्रेष्ठ साधन है परमात्मा को पाने का | मृत्यु देवता हमें इस देह से पृथक करें उस से पूर्व ही निश्चयपूर्वक पूरा यत्न कर के हमें परमात्मा को समर्पित हो जाना चाहिए | समय और सामर्थ्य व्यर्थ नष्ट न करें |
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ॐ तत्सत् | ॐ ॐ ॐ ||
२१ अगस्त २०१७
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नदी का विलय जब महासागर में हो जाता है तब नदी का कोई नाम-रूप नहीं रहता, सिर्फ महासागर ही महासागर रहता है | वैसे ही जीवात्मा जब परमात्मा में समर्पित हो जाती है, तब जीवात्मा का कोई पृथक अस्तित्व नहीं रहता, सिर्फ परमात्मा ही परमात्मा रहते हैं |
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मनुष्य देह सर्वश्रेष्ठ साधन है परमात्मा को पाने का | मृत्यु देवता हमें इस देह से पृथक करें उस से पूर्व ही निश्चयपूर्वक पूरा यत्न कर के हमें परमात्मा को समर्पित हो जाना चाहिए | समय और सामर्थ्य व्यर्थ नष्ट न करें |
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ॐ तत्सत् | ॐ ॐ ॐ ||
२१ अगस्त २०१७
मेरी हर साँस परमात्मा की साँस है | मेरा अस्तित्व परमात्मा का अस्तित्व है | मेरा समर्पण उस सर्वव्यापी परमात्मा के प्रति है जिसके संकल्प मात्र से इस समस्त सृष्टि की रचना हुई है | उस परम शिव परमात्मा से कम कुछ भी अभीष्ट नहीं है |
ReplyDeleteॐ शिव ॐ शिव ॐ शिव !