फेसबुक पर सभी भारतीय मित्रों से मेरा एक प्रश्न है :--
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..... स्वतंत्र भारत में सबसे पहिले तिरंगा कहाँ, कब और किस के द्वारा फहराया गया था ?
..... यदि आप का उत्तर नई दिल्ली, १५ अगस्त १९४७ और जवाहरलाल नेहरु है तो आप गलत हैं |
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भारत के इतिहास का एक गौरवशाली सत्य है जिसे नेताजी सुभाष चन्द्र बोस से व्यक्तिगत द्वेष और घृणा के कारण छिपा दिया गया था| नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की आजाद हिन्द फौज ने जापानी सेना की सहायता से ३० दिसंबर १९४३ को भारत के अंडमान-निकोबार द्वीप समूह को अंग्रेजों के अधिकार से मुक्त करा लिया था| उसी दिन यानि ३० दिसंबर १९४३ को ही पोर्ट ब्लेयर के जिमखाना मैदान में नेताजी सुभाष बोस ने सर्वप्रथम तिरंगा फहराया था| नेताजी ने अंडमान व निकोबार का नाम बदल कर शहीद और स्वराज रख दिया था| स्वतंत्र भारत की घोषणा कर के स्वतंत्र भारत की सरकार भी नेता जी ने बना दी थी|
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उसके पश्चात वहाँ पूरे एक वर्ष से अधिक समय तक आजाद हिन्द फौज का शासन रहा| नेताजी की संदेहास्पद तथाकथित मृत्यु के पश्चात अंग्रेजों ने आजाद हिन्द फौज से वहाँ का शासन बापस छीन लिया|
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पर भारत के एक महत्वपूर्ण बड़े भाग को अंग्रेजों से मुक्त कराने और सबसे पहिले तिरंगा फहराने का श्रेय नेताजी सुभाष बोस को ही जाता है| यह सभी भारतीयों के साथ एक अन्याय है कि दुर्भावनावश इस सत्य को इतिहास की पुस्तकों से छिपा दिया गया|
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यह हमारा दुर्भाग्य है कि जिन्होंने लाखो भारतीयों की ह्त्या की उन अँगरेज़ जनरलों नील और हेवलॉक के सम्मान में रखे गए द्वीपों के नाम Neil Island और Havelock Island अभी तक वैसे के वैसे ही हैं| और भी वहां ऐसे कई टापू हैं जिनके नाम अत्याचारी अँगरेज़ सेनानायकों के सम्मान में रखे गये थे| उनके नाम बदलने चाहिएँ|
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भारत का सबसे दक्षिणी भाग इंदिरा पॉइंट है जो ग्रेट निकोबार के दक्षिण में है| पहले इसका नाम पिग्मेलियन पॉइंट था| यहाँ का लाइट हाउस बड़ा महत्वपूर्ण है| मुझे वहाँ दो बार वहाँ घूमने जाने का अवसर मिला है| अंडमान निकोबार के कई द्वीपों में गया हूँ और खूब घूमा हूँ|
भारत माता की जय | वन्दे मातरं | ॐ तत्सत् | ॐ ॐ ॐ
१२ अगस्त २०१७
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..... स्वतंत्र भारत में सबसे पहिले तिरंगा कहाँ, कब और किस के द्वारा फहराया गया था ?
..... यदि आप का उत्तर नई दिल्ली, १५ अगस्त १९४७ और जवाहरलाल नेहरु है तो आप गलत हैं |
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भारत के इतिहास का एक गौरवशाली सत्य है जिसे नेताजी सुभाष चन्द्र बोस से व्यक्तिगत द्वेष और घृणा के कारण छिपा दिया गया था| नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की आजाद हिन्द फौज ने जापानी सेना की सहायता से ३० दिसंबर १९४३ को भारत के अंडमान-निकोबार द्वीप समूह को अंग्रेजों के अधिकार से मुक्त करा लिया था| उसी दिन यानि ३० दिसंबर १९४३ को ही पोर्ट ब्लेयर के जिमखाना मैदान में नेताजी सुभाष बोस ने सर्वप्रथम तिरंगा फहराया था| नेताजी ने अंडमान व निकोबार का नाम बदल कर शहीद और स्वराज रख दिया था| स्वतंत्र भारत की घोषणा कर के स्वतंत्र भारत की सरकार भी नेता जी ने बना दी थी|
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उसके पश्चात वहाँ पूरे एक वर्ष से अधिक समय तक आजाद हिन्द फौज का शासन रहा| नेताजी की संदेहास्पद तथाकथित मृत्यु के पश्चात अंग्रेजों ने आजाद हिन्द फौज से वहाँ का शासन बापस छीन लिया|
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पर भारत के एक महत्वपूर्ण बड़े भाग को अंग्रेजों से मुक्त कराने और सबसे पहिले तिरंगा फहराने का श्रेय नेताजी सुभाष बोस को ही जाता है| यह सभी भारतीयों के साथ एक अन्याय है कि दुर्भावनावश इस सत्य को इतिहास की पुस्तकों से छिपा दिया गया|
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यह हमारा दुर्भाग्य है कि जिन्होंने लाखो भारतीयों की ह्त्या की उन अँगरेज़ जनरलों नील और हेवलॉक के सम्मान में रखे गए द्वीपों के नाम Neil Island और Havelock Island अभी तक वैसे के वैसे ही हैं| और भी वहां ऐसे कई टापू हैं जिनके नाम अत्याचारी अँगरेज़ सेनानायकों के सम्मान में रखे गये थे| उनके नाम बदलने चाहिएँ|
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भारत का सबसे दक्षिणी भाग इंदिरा पॉइंट है जो ग्रेट निकोबार के दक्षिण में है| पहले इसका नाम पिग्मेलियन पॉइंट था| यहाँ का लाइट हाउस बड़ा महत्वपूर्ण है| मुझे वहाँ दो बार वहाँ घूमने जाने का अवसर मिला है| अंडमान निकोबार के कई द्वीपों में गया हूँ और खूब घूमा हूँ|
भारत माता की जय | वन्दे मातरं | ॐ तत्सत् | ॐ ॐ ॐ
१२ अगस्त २०१७
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