सर्वप्रथम हम सच्चे भारतीय बनें .....
सच्चा भारतीय वही है जो परमात्मा के लिए अपना जीवन जी रहा है | भारत का अस्तित्व सदा सिर्फ परमात्मा के लिए ही रहा है |
पिछले दो सहस्त्र वर्षों में जन्में कलियुगी पंथों ने भारत का अधिकतम अहित किया है | जितना वे कर सकते थे उतना कर चुके हैं | उन्होंने भारत को दरिद्र बनाया, भारत का झूठा इतिहास लिखा, भारत के धर्मग्रंथों को प्रक्षिप्त किया, भारत के धर्मग्रन्थों की और धर्म की अधिकतम निंदा की और बदनाम किया, झूठा इतिहास पढ़ाया, भारत की शिक्षा व्यवस्था और कृषि व्यवस्था को नष्ट किया व अत्यधिक धर्मांतरण किया |
पर भारत अब भी जीवित है और अपना विस्तार करेगा | भारत के जीवित रहने का एकमात्र उद्देश्य है परमात्मा के प्रति परम प्रेम का विस्तार | भारत सदा परमात्मा के लिए जीया है और परमात्मा के लिए ही जीएगा | भारत की अस्मिता पर जितना प्रहार हुआ है उसका दस लाखवाँ हिस्सा भी किसी अन्य संस्कृति पर होता तो वह पूर्णरूपेण नष्ट हो जाती |
भारत एक ऊर्ध्वमुखी चेतना है | भारत एक ऐसे लोगों का समूह है जो जीवन में श्रेष्ठतम और उच्चतम है को पाने का प्रयास करते है, अपनी चेतना को विस्तृत कर समष्टि से जुड़ना चाहते हैं, और नर में नारायण को साकार करते हैं |
अतः सच्चे भारतीय बनें और निज जीवन में परमात्मा को व्यक्त करें |
ॐ तत्सत् | ॐ ॐ ॐ ||
१५ अगस्त २०१७.
सच्चा भारतीय वही है जो परमात्मा के लिए अपना जीवन जी रहा है | भारत का अस्तित्व सदा सिर्फ परमात्मा के लिए ही रहा है |
पिछले दो सहस्त्र वर्षों में जन्में कलियुगी पंथों ने भारत का अधिकतम अहित किया है | जितना वे कर सकते थे उतना कर चुके हैं | उन्होंने भारत को दरिद्र बनाया, भारत का झूठा इतिहास लिखा, भारत के धर्मग्रंथों को प्रक्षिप्त किया, भारत के धर्मग्रन्थों की और धर्म की अधिकतम निंदा की और बदनाम किया, झूठा इतिहास पढ़ाया, भारत की शिक्षा व्यवस्था और कृषि व्यवस्था को नष्ट किया व अत्यधिक धर्मांतरण किया |
पर भारत अब भी जीवित है और अपना विस्तार करेगा | भारत के जीवित रहने का एकमात्र उद्देश्य है परमात्मा के प्रति परम प्रेम का विस्तार | भारत सदा परमात्मा के लिए जीया है और परमात्मा के लिए ही जीएगा | भारत की अस्मिता पर जितना प्रहार हुआ है उसका दस लाखवाँ हिस्सा भी किसी अन्य संस्कृति पर होता तो वह पूर्णरूपेण नष्ट हो जाती |
भारत एक ऊर्ध्वमुखी चेतना है | भारत एक ऐसे लोगों का समूह है जो जीवन में श्रेष्ठतम और उच्चतम है को पाने का प्रयास करते है, अपनी चेतना को विस्तृत कर समष्टि से जुड़ना चाहते हैं, और नर में नारायण को साकार करते हैं |
अतः सच्चे भारतीय बनें और निज जीवन में परमात्मा को व्यक्त करें |
ॐ तत्सत् | ॐ ॐ ॐ ||
१५ अगस्त २०१७.
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