अपने समय के एक-एक क्षणका सदुपयोग करें ....
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जिस भौतिक विश्व में हम रहते हैं, उससे भी बहुत अधिक बड़ा एक सूक्ष्म जगत हमारे चारों ओर है, जिसमें नकारात्मक और सकारात्मक दोनों तरह की सत्ताएँ हैं| जितना हम अपनी दिव्यता की ओर बढ़ते हैं, ये नकारात्मक शक्तियां उतनी ही प्रबलता से हम पर अधिकार करने का प्रयास करती हैं| सबसे पहिले वे हमारा मनोबल क्षीण करती हैं| इनका उपकरण बनने से बचने के लिए निरंतर प्रयास करना पड़ता है| इसके लिए निरंतर हरि स्मरण, सत्संग, स्वाध्याय और कुसंग-त्याग व सात्विक भोजन ये ही उपाय हैं| अपने विचारों और भावों पर सदा ध्यान रखें और अच्छे संकल्प करें|
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अपने समय के एक-एक क्षणका सदुपयोग करें और ईश्वर प्रदत्त विवेक के प्रकाश में सारे कार्य करें| हमें अपने समय के एक एक क्षण का सदुपयोग करना होगा अन्यथा हम स्वयं को क्षमा नहीं कर पाएंगे | आग लगने पर कुआँ नहीं खोदा जा सकता, कुएँ को तो पहिले से ही खोद कर रखना पड़ता है|
भगवान सबकी रक्षा करें| हमारा समर्पण पूर्ण हो|
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ॐ गुरु ! जय गुरु !ॐ तत्सत् | ॐ ॐ ॐ ||
२० अगस्त २०१७
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जिस भौतिक विश्व में हम रहते हैं, उससे भी बहुत अधिक बड़ा एक सूक्ष्म जगत हमारे चारों ओर है, जिसमें नकारात्मक और सकारात्मक दोनों तरह की सत्ताएँ हैं| जितना हम अपनी दिव्यता की ओर बढ़ते हैं, ये नकारात्मक शक्तियां उतनी ही प्रबलता से हम पर अधिकार करने का प्रयास करती हैं| सबसे पहिले वे हमारा मनोबल क्षीण करती हैं| इनका उपकरण बनने से बचने के लिए निरंतर प्रयास करना पड़ता है| इसके लिए निरंतर हरि स्मरण, सत्संग, स्वाध्याय और कुसंग-त्याग व सात्विक भोजन ये ही उपाय हैं| अपने विचारों और भावों पर सदा ध्यान रखें और अच्छे संकल्प करें|
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अपने समय के एक-एक क्षणका सदुपयोग करें और ईश्वर प्रदत्त विवेक के प्रकाश में सारे कार्य करें| हमें अपने समय के एक एक क्षण का सदुपयोग करना होगा अन्यथा हम स्वयं को क्षमा नहीं कर पाएंगे | आग लगने पर कुआँ नहीं खोदा जा सकता, कुएँ को तो पहिले से ही खोद कर रखना पड़ता है|
भगवान सबकी रक्षा करें| हमारा समर्पण पूर्ण हो|
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ॐ गुरु ! जय गुरु !ॐ तत्सत् | ॐ ॐ ॐ ||
२० अगस्त २०१७
हमारे विचार ही हमारी परिस्थितियों का निर्माण करते हैं | हम स्वयं को गलत परिस्थितियों में पाते हैं, तो यह हमारे अनेक जन्मों के विचारों का परिणाम है | हमारे विचार ही हमारे कर्म हैं जिनका फल संचित होता रहता है | हमारे विचार हमारी ही सृष्टि हैं अतः इनको बदलने का दायित्व भी हमारा ही है |
ReplyDeleteपरमात्मा का निरंतर ध्यान ही सर्वश्रेष्ठ उपाय है जो हमें गलत परिस्थितियों से बचा सकता है |
ॐ ॐ ॐ ||