९ अप्रेल २०२५
आज का दिन जीवन का एक अति श्रेष्ठ दिन है। पिछले दो सप्ताह से यह शरीर रुग्ण चल रहा था। बीते हुए कल का दिन लग रहा था कि ठीक है, लेकिन दिन के ढलते ढलते फिर से अस्वस्थ हो गया। आज प्रातः स्वयं परमात्मा ही इस देह से सोकर उठे हैं। उठते ही परमात्मा इस देह को माध्यम बनाकर ध्यानस्थ हो गये। अब से आगे जो कुछ भी करना है, वह परमात्मा स्वयं करेंगे, वे ही एकमात्र कर्ता हैं। परमात्मा स्वयं ही इन नासिकाओं से सांस ले रहे हैं और कूटस्थ-चैतन्य/ब्राह्मी-स्थिति में हैं। हरिः ॐ तत्सत् !! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
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