अब से हम असली "उपवास" करेंगे, नकली नहीं। "उपवास" किसे कहते हैं? ---
"उपवास" का अर्थ भूखा रहना, या दिखावे के लिए दो तीन घंटे बिना खाना खाये रहना नहीं है। उप का अर्थ है -- समीप, वास का अर्थ है -- निवास। उपवास का अर्थ है -- "आत्मा के पास निवास करना"। आत्मतत्व में स्थिति ही -- उपवास है, जिसे अधर्मसापेक्ष यानी धर्मनिरपेक्ष लोग सात जन्म में भी नहीं समझ सकते।
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आत्मा तो व्यापक है सब में एक जैसा है फिर उसके पास निवास कैसे किया जाये? उपवास करने वाला कौन है? कौन किस के साथ उपवास कर रहा है?
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द्वैत बुद्धि से उपवास नहीं हो सकता। इसे समझने के लिए अद्वैत में जाना होगा।
ध्यान और उपासना भी अद्वैत बुद्धि में ही होंगी। ध्यान करने वाला कौन ? हमारा मन ही मन का ध्यान करता है, और कहते हैं कि हम परमात्मा का ध्यान करते हैं। वास्तव में ध्यान, उपासना, और उपवास --- भगवान अपने स्वयं का ही करते हैं।
११ अप्रेल २०२१
११ अप्रेल २०२१
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