सांता क्लॉज़ की वास्तविकता .....
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इस वर्ष पूरे भारत में अनेक हिन्दुओं ने क्रिसमस का पर्व ईसाईयों से भी अधिक उत्साह से मनाया| यह एक घोर आश्चर्य का विषय है कि भारत के प्रायः सभी हिन्दू विद्यालयों में जहाँ हिन्दू विद्यार्थी, हिन्दू अध्यापक, हिन्दू व्यवस्थापक और हिन्दू मालिक हैं, क्रिसमस का त्यौहार बड़ी धूमधाम से मनाया गया| मुस्लिमों ने अपने बालकों को इस उत्सव से दूर रखा पर हिन्दुओं ने नहीं| बच्चों को सांता क्लॉज़ की ड्रेस पहनाई गयी, टॉफियाँ बाँटी गयी और भाषण दिया गया कि हमें ईसा मसीह के आदर्शों पर चलना चाहिए| कई हिन्दू दुकानदारों ने भी अपनी दुकानों पर सांता क्लॉज़ की बड़ी बड़ी फोटो लगाई या किसी आदमी को सांता क्लॉज़ की ड्रेस पहनाकर बैठाया| कई महिलाओं ने भी अपना शौक पूरा करने के लिए सांता क्लॉज़ की ड्रेस पहनी|
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वास्तविकता यह है कि सांता क्लॉज़ नाम का चरित्र कभी इतिहास में जन्मा ही नहीं| यह ईसा की चौथी शताब्दी में सैंट निकोलस नाम के एक ग्रीक पादरी के दिमाग की कल्पना थी जो एशिया माइनर (वर्तमान तुर्की) के म्यरा नामक स्थान में जन्मा था| इसके माँ-बाप दोनों ही बहुत अमीर थे जो अपनी मृत्यु से पूर्व इसके लिए बहुत सारा धन छोड़ गए थे|
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सन १८२३ ई.में सांता क्लॉज़ नाम की एक कविता अमेरिका और कनाडा में अति लोकप्रिय हुई, और उन्नीसवीं सदी में सांता क्लॉज़ के ऊपर लिखे गए कई गाने वहाँ अत्यधिक लोकप्रिय हुए| ठण्ड से पीड़ित स्केंडेनेवियन देशों .... नोर्वे, स्वीडन और डेनमार्क के, व अन्य ठन्डे ईसाई देशों के पादरियों ने ठण्ड से पीड़ित अपने देशों के बच्चों के मन को बहलाने के लिए सांता क्लॉज़ की कल्पना को खूब लोकप्रिय बनाया| बच्चों के मनोरंजन के लिए जैसे सुपरमैन, बैटमैन, स्पाइडरमैन, ग्रीन लैंटर्न, हल्क, डोनाल्ड डक, मिक्की माउस इत्यादि अनेकों कार्टून चरित्रों की कल्पना की गयी है वैसे ही संता क्लॉज़ भी एक काल्पनिक चरित्र है|
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भारत में इसकी लोकप्रियता का कारण बाजारवाद और अपने लोगों का विज्ञापनों से प्रभावित होना मात्र ही है| हम लोग एक आत्महीनता और हीन भावना से ग्रस्त हैं, अतः बेवश होकर बच्चों की खुशी के लिये प्रसन्न होने का नाटक कर के यह नाटक मनाते हैं| यदि यह एक बच्चों के लिए मनोरंजन का साधन मात्र है वहाँ तक तो ठीक है, पर इसमें किसी पंथ विशेष की महानता का प्रचार नहीं होना चाहिए|
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अनेक लोगों ने बीयर या स्कॉच पी कर, कुछ ने तो सपरिवार डांस भी किया, पार्टी भी की और एक दूसरे को खूब बधाइयां भी दीं|
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इस वर्ष पूरे भारत में अनेक हिन्दुओं ने क्रिसमस का पर्व ईसाईयों से भी अधिक उत्साह से मनाया| यह एक घोर आश्चर्य का विषय है कि भारत के प्रायः सभी हिन्दू विद्यालयों में जहाँ हिन्दू विद्यार्थी, हिन्दू अध्यापक, हिन्दू व्यवस्थापक और हिन्दू मालिक हैं, क्रिसमस का त्यौहार बड़ी धूमधाम से मनाया गया| मुस्लिमों ने अपने बालकों को इस उत्सव से दूर रखा पर हिन्दुओं ने नहीं| बच्चों को सांता क्लॉज़ की ड्रेस पहनाई गयी, टॉफियाँ बाँटी गयी और भाषण दिया गया कि हमें ईसा मसीह के आदर्शों पर चलना चाहिए| कई हिन्दू दुकानदारों ने भी अपनी दुकानों पर सांता क्लॉज़ की बड़ी बड़ी फोटो लगाई या किसी आदमी को सांता क्लॉज़ की ड्रेस पहनाकर बैठाया| कई महिलाओं ने भी अपना शौक पूरा करने के लिए सांता क्लॉज़ की ड्रेस पहनी|
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वास्तविकता यह है कि सांता क्लॉज़ नाम का चरित्र कभी इतिहास में जन्मा ही नहीं| यह ईसा की चौथी शताब्दी में सैंट निकोलस नाम के एक ग्रीक पादरी के दिमाग की कल्पना थी जो एशिया माइनर (वर्तमान तुर्की) के म्यरा नामक स्थान में जन्मा था| इसके माँ-बाप दोनों ही बहुत अमीर थे जो अपनी मृत्यु से पूर्व इसके लिए बहुत सारा धन छोड़ गए थे|
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सन १८२३ ई.में सांता क्लॉज़ नाम की एक कविता अमेरिका और कनाडा में अति लोकप्रिय हुई, और उन्नीसवीं सदी में सांता क्लॉज़ के ऊपर लिखे गए कई गाने वहाँ अत्यधिक लोकप्रिय हुए| ठण्ड से पीड़ित स्केंडेनेवियन देशों .... नोर्वे, स्वीडन और डेनमार्क के, व अन्य ठन्डे ईसाई देशों के पादरियों ने ठण्ड से पीड़ित अपने देशों के बच्चों के मन को बहलाने के लिए सांता क्लॉज़ की कल्पना को खूब लोकप्रिय बनाया| बच्चों के मनोरंजन के लिए जैसे सुपरमैन, बैटमैन, स्पाइडरमैन, ग्रीन लैंटर्न, हल्क, डोनाल्ड डक, मिक्की माउस इत्यादि अनेकों कार्टून चरित्रों की कल्पना की गयी है वैसे ही संता क्लॉज़ भी एक काल्पनिक चरित्र है|
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भारत में इसकी लोकप्रियता का कारण बाजारवाद और अपने लोगों का विज्ञापनों से प्रभावित होना मात्र ही है| हम लोग एक आत्महीनता और हीन भावना से ग्रस्त हैं, अतः बेवश होकर बच्चों की खुशी के लिये प्रसन्न होने का नाटक कर के यह नाटक मनाते हैं| यदि यह एक बच्चों के लिए मनोरंजन का साधन मात्र है वहाँ तक तो ठीक है, पर इसमें किसी पंथ विशेष की महानता का प्रचार नहीं होना चाहिए|
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अनेक लोगों ने बीयर या स्कॉच पी कर, कुछ ने तो सपरिवार डांस भी किया, पार्टी भी की और एक दूसरे को खूब बधाइयां भी दीं|
सभी को धन्यवाद|
२५ दिसंबर २०१७
२५ दिसंबर २०१७
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