Friday, 29 December 2017

कुछ प्यार भरे सुझाव और अनुरोध .....

कुछ प्यार भरे सुझाव और अनुरोध .....
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(१) रात्री को सोने से पूर्व बिस्तर पर ही सीधे बैठकर कम से कम आधे घंटे तक परमात्मा का ध्यान करें और निश्चिन्त होकर जगन्माता की गोद में ऐसे ही सो जाएँ जैसे एक बालक अपनी माँ की गोद में सोता है| यदि ध्यान नहीं लगता है तो गायत्री मन्त्र का या द्वादशाक्षरी भागवत मन्त्र का या अन्य किसी गुरु-प्रदत्त मन्त्र का जाप करते रहें| अपनी सारी चिंताएँ जगन्माता को या अपने इष्ट देव/देवी को सौंप दें| जब तक नींद नहीं आये तब तक मन्त्र का जाप करते रहें| किसी भी तरह की चिंता को समीप न आने दें|
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(२) प्रातःकाल उठते ही थोड़ा जल पीएँ और लघुशंकादि से निवृत होकर फिर कम से कम आधे घंटे तक जैसा ऊपर बताया है वैसे ही परमात्मा का ध्यान करें|
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(३) पूरे दिन परमात्मा की स्मृति अपने चित्त में बनाए रखें| यदि भूल जाएँ तो याद आते ही फिर उस स्मृति को अपनी चेतना में स्थापित करें| एक बात याद रखें कि आप जो कुछ भी कर रहे हो वह परमात्मा की प्रसन्नता के लिए ही कर रहे हो| ऐसा कोई काम न करें जो भगवान को प्रिय न हो| धीरे धीरे भगवान स्वयं ही आपके माध्यम से कार्य करना आरम्भ कर देंगे|
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(४) जो भी आप भोजन कर रहे हो वह भगवान को निवेदित कर के इस भाव से ग्रहण करें कि साक्षात भगवान ही उसे ग्रहण कर रहे हैं| खाएँ वही जो भगवान को प्रिय है| भोजन से पूर्व गीता में दिया ब्रह्मार्पणम् वाला मन्त्र धीरे से अवश्य बोलें, और प्रथम ग्रास के साथ "ॐ प्राणाय स्वाहा" मन्त्र भी धीरे से अवश्य बोलें|
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उपरोक्त तो न्यूनतम धर्माचरण है जिसका पालन करने से निश्चित रूप से सभी का कल्याण होगा| ये पंक्तियाँ स्वयं जगन्माता की प्रेरणा से ही लिखी जा रही हैं| सभी का कल्याण हो|
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ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
२५-१२-२०१७

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