Tuesday, 16 December 2025

आध्यात्मिक दृष्टि से मैं तृप्त और संतुष्ट हूँ ---

आध्यात्मिक दृष्टि से मैं तृप्त और संतुष्ट हूँ। यहाँ से मन भर गया है। अब केवल परमात्मा के महासागर में गहरी डुबकी लगाकर स्वयं को विलीन करने का काम बाकी है। यह महासागर ऊर्ध्व में है, जिसका रंग धवल यानि श्वेत है। इसकी स्थिति चिदाकाश यानि चित्त रूपी आकाश से भी परे है। वहाँ का गुरुत्वाकर्षण भी उल्टा है। वह ऊपर की ओर ही खींचता है, नीचे की ओर नहीं। हमारी कामनाएँ और आकाक्षाएँ हमें अधोगामी बना देती हैं। अन्यथा हमारी स्वाभाविक गति ऊर्ध्व में है। वही क्षीरसागर है, जहां भगवान नारायण का निवास है। वहाँ प्रकाश ही प्रकाश है, कोई अंधकार नहीं।

ॐ तत् सत् !!ॐ नमो भगवते वासुदेवाय !! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
२७ नवम्बर २०२५

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