निराश्रयं माम् जगदीश रक्षः॥
मैं जहां भी हूँ, जैसे भी हूँ, मेरा पूर्ण समर्पण परमात्मा के प्रति है। मेरा एकमात्र आधार और आश्रय भगवान स्वयं हैं, अन्यथा मैं निराश्रय हूँ।
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"ॐ सच्चिदानंद रूपाय विश्वोत्पत्यादिहेतवे। तापत्रय विनाशाय श्री कृष्णाय वयं नम:॥"
"कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने, प्रणत क्लेशनाशाय गोविंदाय नमो नम:॥"
"वंशी विभूषित करा नवनीर दाभात्, पीताम्बरा दरुण बिंब फला धरोष्ठात्।
पूर्णेन्दु सुन्दर मुखादर बिंदु नेत्रात्, कृष्णात परम् किमपि तत्व अहं न जानि॥"
"नमो ब्रह्मण्य देवाय गो ब्राह्मण हिताय च, जगद्धिताय कृष्णाय गोविन्दाय नमो नमः॥"
"मूकं करोति वाचालं पंगुं लंघयते गिरिम्। यत्कृपा तमहं वन्दे परमानन्दमाधवम्॥"
"कस्तुरी तिलकम् ललाटपटले, वक्षस्थले कौस्तुभम् ,
नासाग्रे वरमौक्तिकम् करतले, वेणु करे कंकणम्।
सर्वांगे हरिचन्दनम् सुललितम्, कंठे च मुक्तावलि,
गोपस्त्री परिवेष्ठितो विजयते, गोपाल चूड़ामणी॥"
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हे प्रभु, अपने साथ एक करो। जब आप ही मेरे एकमात्र आश्रय हैं। आपके बिना मेरा कोई आश्रय नहीं है।
"अग्रे कुरूनाम् अथ पाण्डवानां दुःशासनेनाहृत वस्त्रकेशा।
कृष्णा तदाक्रोशदनन्यनाथ गोविंद दामोदर माधवेति॥
श्रीकृष्ण विष्णो मधुकैटभारे भक्तानुकम्पिन् भगवन् मुरारे।
त्रायस्व माम् केशव लोकनाथ गोविंद दामोदर माधवेति॥"
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हरे मुरारे मधुकैटभारे, गोबिंद गोपाल मुकुंद माधव।
यज्ञेश नारायण कृष्ण विष्णु, निराश्रयं माम् जगदीश रक्षः॥
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय !!
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