Saturday, 14 June 2025

हम इसी जीवन में ईश्वर को उपलब्ध हों, इसके अतिरिक्त मेरी रुचि अन्य किसी भी विषय में नहीं है ---

 हम इसी जीवन में ईश्वर को उपलब्ध हों, इसके अतिरिक्त मेरी रुचि अन्य किसी भी विषय में नहीं है ---

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अंशुमाली मार्तंड भगवान भुवन-भास्कर अपना प्रकाश बिना शर्त हम सब को देते हैं, वैसे ही हम अपना सम्पूर्ण प्रेम पूरी समष्टि को दें। फिर पूरी समष्टि भी हमसे प्रेम करेगी। हमारा परमप्रेम ही परमात्मा की अभिव्यक्ति है।
हम साँस लेते हैं, तो परमात्मा सांस लेता है। हमारे माध्यम से परमात्मा ही यह जीवन जी रहे हैं। हम सबके साथ, यानि परमात्मा के साथ एक हैं, यह सम्पूर्ण ब्रह्मांड हमारा घर है, और यह सम्पूर्ण सृष्टि हमारा परिवार।
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परमात्मा के अतिरिक्त अन्य किसी भी वस्तु या प्राणी से अनुराग आसक्ति है, प्रेम नहीं। आसक्ति में सिर्फ लेना ही लेना यानि निरंतर माँग और अपेक्षा ही रहती है। आसक्ति पतन करने वाली होती है। आसक्ति अपने सुख के लिए होती है, जब कि परमात्मा से प्रेम में कोई शर्त नहीं होती। परमात्मा से प्रेम में केवल समर्पण होता है।
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हम सब की आध्यात्मिक प्रगति हो, हमारी उपस्थिती, परमात्मा की उपस्थिती हो। हम जहाँ भी जायें, वह भूमि पवित्र हो जाये, जिस पर भी हमारी दृष्टि पड़े, वह धन्य हो जाये।
ॐ तत्सत् !! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
१४ जून २०२५

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