Saturday, 14 June 2025

हमारा प्रेम सर्वव्यापी है .....

 हमारा प्रेम सर्वव्यापी है .....

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जैसे भगवान भुवन भास्कर अपना प्रकाश बिना किसी शर्त सब को देते हैं, वैसे ही हम अपना सम्पूर्ण प्रेम पूरी समष्टि को दें| फिर पूरी समष्टि ही हमसे प्रेम करेगी| वह समस्त प्रेम हम स्वयं हैं| हम ज्योतिषांज्योति, सारे सूर्यों के सूर्य, प्रकाशों के प्रकाश हैं| जैसे भगवान भुवन भास्कर के समक्ष अन्धकार टिक नहीं सकता वैसे ही हमारे परम प्रेम रूपी प्रकाश के समक्ष अज्ञान, असत्य और अन्धकार की शक्तियाँ नहीं टिक सकतीं|
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हम अपनी पूर्णता को प्रकट करें| हमारा प्रेम ही परमात्मा की अभिव्यक्ति है| हमारी पूर्णता ही सच्चिदानंद है, हमारी पूर्णता ही परमेश्वर है और अपनी पूर्णता में हम स्वयं ही परमात्मा हैं| हम जीव नहीं, साक्षात शिव हैं|
ॐ शिव ! ॐ तत्सत् ! शिवोहं शिवोहं अहं ब्रह्मास्मि ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
१५ जून २०१४

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