मैं तो फूल हूँ, मुरझा गया तो मलाल कैसा?
तुम तो महक हो, तुम्हें अभी हवाओं में समाना है .....
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किसी को किसी के प्रति भी द्वेष नहीं रखना चाहिए| राग और द्वेष ये दो ही पुनर्जन्म यानि इस संसार में बारम्बार आने के कारण हैं| जिससे भी हम द्वेष रखते हैं, अगले जन्म में उसी के घर जन्म लेना पड़ता है| जिस भी परिस्थिति और वातावरण से हमें द्वेष हैं वह वातावरण और परिस्थिति हमें दुबारा मिलती है| बुराई का प्रतिकार करो, युद्धभूमि में शत्रु का भी संहार करो पर ह्रदय में घृणा बिलकुल भी ना हो| परमात्मा को कर्ता बनाकर सब कार्य करो| कर्तव्य निभाते हुए भी अकर्ता बने रहो| सारे कार्य परमात्मा को समर्पित कर दो, फल की अपेक्षा या कामना मत करो|
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ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
१७ मई २०१९
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