Thursday, 22 May 2025

आत्मा की उन्नति के बिना समाज और राष्ट्र की उन्नति संभव नहीं है ....,

 आत्मा की उन्नति के बिना समाज और राष्ट्र की उन्नति संभव नहीं है ....,

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हर मनुष्य की शाश्वत जिज्ञासा होती है सत्य को जानने की| सत्य है परमात्मा| जब हमें सत्य यानि परमात्मा का बोध नहीं होता और हम असत्य को अपना लेते हैं तब समाज और राष्ट्र का बहुत बड़ा अहित करते हैं| सत्य को जानने के लिए स्वाध्याय, उपासना, संस्कृति व स्वधर्म का ज्ञान आवश्यक है| माता-पिता, आचार्यों, बड़े-बूढ़ों, व समाज की सेवा भी सत्य के प्रेमी ही कर सकते हैं| समाज में माता-पिता का भी दायित्व होता है कि वे अपने बालकों को अच्छे से अच्छे संस्कार दें| देश की वास्तविक संपत्ति देश के सत्यनिष्ठ, कार्यकुशल व चरित्रवान नागरिक होते हैं| पर दुर्भाग्य से देश की शिक्षा व्यवस्था और कुछ सरकारी प्रावधान देश की अस्मिता को ही नष्ट कर रहे हैं| आशा है शासक वर्ग में सद्बुद्धि आएगी और दैवीय शक्तियाँ भारत की अस्मिता की रक्षा करेंगी| आशा अब दैवीय शक्तियों पर ही है|
ॐ तत्सत् !!
२२ मई २०२०

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