हे गुरु रूप ब्रह्म !!
.
लगता है -- अंधकारमय भव-सागर से तुमने मुझे पार करा ही दिया है। कहीं कोई अंधकार नहीं है। प्रकाश ही प्रकाश है। कुछ पता ही नहीं चला। अब सब कुछ तुम्हीं हो। तुम्हारी उपस्थिति से जीवन धन्य हुआ है। तुम्हारी मुस्कान से आत्मा तृप्त हुई है। तुम्हारे प्रेम से ह्रदय भर गया है। तुम्हारी करुणा से वेदना दूर हुई है। तुम्हारे प्रकाश से मार्ग प्रशस्त हुआ है। तुम्हारे शब्दों से शांति मिली है। तुम्हारे विचारों से विवेक जागृत हुआ है। तुम्हारी हँसी से आनंद मिला है। तुम्हारी अनंतता से आश्रय मिला है। तुम्हारी सर्व-व्यापकता से सब कुछ मिल गया है। जीवन का जो सर्वश्रेष्ठ है, वह तुम ही हो। जब मैं अंधकार में ठोकरें खाता हुआ आगे बढ़ रहा था तब जिसने मुझे मार्ग दिखाया, वह तुम ही थे। तुम्हारा साथ अनंत काल तक के लिए है। तुम्हारी जय हो।
ॐ -- गुरु ॐ -- गुरु ॐ -- गुरु ॐ -- जय गुरु !!
१४ अप्रेल २०२१
No comments:
Post a Comment