भगवान कितने उदार हैं !!!
मेरी अंतर्चेतना में बार-बार कोई मुझसे कहता है --- तुम्हारे में चाहे लाख कमियाँ रही हों, लाखों बार तुम असफल रहे हो, लेकिन जब तुम प्रत्यक्ष परमात्मा से संवाद स्थापित कर पा रहे हो, तो अपनी कमियों, विफलताओं को भूल जाओ, और परमात्मा के प्रति निरंतर सजग रहो। तुम सफल हो, तुम शांत हो, तुम परमप्रेममय, आनंदमय, और भगवान के हृदय में हो।
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परमात्मा के अथाह महासागर की हम एक लहर नहीं, स्वयं वह महासागर हैं, जो यह लहर बन गई है। परमात्मा का प्रकाश फैलाने के लिए ही हमारा जन्म हुआ है, और भविष्य में भी होगा। हम यह नश्वर देह नहीं हैं, परमात्मा की ही पूर्ण अभिव्यक्ति हैं। हमारे माध्यम से भगवान स्वयं को व्यक्त कर रहे हैं।
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एक व्यक्ति चाहे तो अपनी निष्ठा और संकल्प से पूरे विश्व के घटनाक्रम को बदल सकता है| जिन का मानस ही अभाव-ग्रस्त है, जो आत्मग्लानि आत्महीनता के बोध से भरे हुये हैं, जो हर बात में दूसरों में व स्वयं में दोष देखते हैं, ..... ऐसे लोग संसार में कुछ भी सकारात्मक कार्य नहीं कर सकते| ऐसे लोगों के साथ से तो एकांत में भगवान का साथ अधिक अच्छा है|
ॐ स्वस्ति। ॐ ॐ ॐ॥
22 अप्रेल 2020
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