उलटी खोपड़ी में जल रहे दीपक का निरंतर सदा ध्यान करो ---
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हम सब की उलटी खोपड़ी में भगवान ने एक दीपक जला रखा है। उस दीपक के प्रकाश का ही ध्यान करो जो बिना किसी ईंधन और बत्ती के निरंतर जलता रहता है। वह जलता ही नहीं है, बल्कि उसमें से भगवान की वाणी भी निरंतर निःसृत होती रहती है। जिस किसी भी मुमुक्षु को वह दीपक दिखाई देता है, वह धन्य है।
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पानी का कुआँ तो सीधा होता है पर यह उलटा कुआँ हमारी खोपड़ी है जिसका मुँह नीचे की ओर खुलता है। उस कुएँ में हमारी आत्मा यानि हमारी चैतन्यता का नित्य निवास है। उसमें दिखाई देने वाली अखंड ज्योति -- ज्योतिर्मय ब्रह्म है, उसमें से निकलने वाली ध्वनि -- अनाहत नादब्रह्म है। यही राम नाम की ध्वनी है। उस दीपक के प्रकाश और ध्वनि की चेतना में निरंतर रहें। आगे के सारे द्वार खुल जायेंगे, सारा अंधकार दूर हो जायेगा।
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आप सब की कीर्ति और यश सदा अमर रहे। आप सब सदा सुखी एवं सम्पन्न रहें। आप सब इसी जन्म में परमात्मा को उपलब्ध हों।
ॐ तत्सत् !! ॐ स्वस्ति !!
कृपा शंकर
२२ अप्रेल २०२४
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