Saturday, 7 March 2020

महाशिवरात्रि पर भगवान परमशिव को नमन .....

महाशिवरात्रि पर भगवान परमशिव को नमन .....
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भगवान शिव की परम कृपा हम सब पर बनी रहे| शिवभाव में स्थित होकर हम स्वयं ही स्वयं को नमन कर रहे हैं| महाशिवरात्रि हमारे लिए ज्योतिर्मय हो, हमारे चैतन्य में कोई असत्य और अंधकार का अवशेष न रहे| हमारा हर संकल्प, हर विचार और हर क्रिया शिवमय हो| हमारा शिवरात्रि का उपवास सफल हो| हमारे धर्म और राष्ट्र की रक्षा हो| भारत के भीतर और बाहर के शत्रुओं का नाश हो| भारत विजयी हो|
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असत्य से निवृत होकर जीवात्मा तथा परमात्मा का योगस्थ होकर एक साथ रहना उपवास कहलाता है, शरीर को भूख से सुखाने का नाम उपवास नहीं है| पुराने जमाने के सक्षम लोग शिवरात्रि के दिन सूर्योदय से लेकर अगले दिन के सूर्योदय तक निर्जला व्रत करते थे और पूरी रात जागकर जप करते थे|
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मृत संजीवनी मंत्र :----
"ॐ हौं ॐ जूँ ॐ सः ॐ भू: ॐ भुवः ॐ स्व: ॐ मह: ॐ जन: ॐ तप: ॐ सत्यम् |
तत्सवितुर्वरेण्यम् त्र्यंबकम् यजामहे सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् भर्गो देवस्य धीमहि उर्वा रूकमीव बन्धनान् धियोयोनः प्रचोदयात् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् |
ॐ सत्यम ॐ तप: ॐ जन: ॐ मह: ॐ स्वः ॐ भुव: ॐ भू: ॐ स: ॐ जूँ ॐ हौं ॐ ||"
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रुद्राष्टकम् :---
नमामीशमीशान निर्वाण रूपं, विभुं व्यापकं ब्रह्म वेदः स्वरूपम्‌ ।
निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं, चिदाकाश माकाशवासं भजेऽहम्‌ ॥ (१)
निराकांर मोंकार मूलं तुरीयं, गिराज्ञान गोतीतमीशं गिरीशम्‌ ।
करालं महाकाल कालं कृपालं, गुणागार संसार पारं नतोऽहम्‌ ॥ (२)
तुषाराद्रि संकाश गौरं गभीरं, मनोभूत कोटि प्रभा श्री शरीरम्‌ ।
स्फुरन्मौलि कल्लोलिनी चारू गंगा, लसद्भाल बालेन्दु कण्ठे भुजंगा॥(३)
चलत्कुण्डलं शुभ्र सुनेत्रं विशालं, प्रसन्नाननं नीलकण्ठं दयालम्‌ ।
मृगाधीश चर्माम्बरं मुण्डमालं, प्रियं शंकरं सर्वनाथं भजामि ॥(४)
प्रचण्डं प्रकष्टं प्रगल्भं परेशं, अखण्डं अजं भानु कोटि प्रकाशम्‌ ।
त्रयशूल निर्मूलनं शूल पाणिं, भजेऽहं भवानीपतिं भाव गम्यम्‌ (५)
कलातीत कल्याण कल्पान्तकारी, सदा सच्चिदान्द दाता पुरारी |
चिदानन्द सन्दोह मोहापहारी, प्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारी ॥(६)
न यावद् उमानाथ पादारविन्दं, भजन्तीह लोके परे वा नराणाम्‌ ।
न तावद् सुखं शांति सन्ताप नाशं, प्रसीद प्रभो सर्वं भूताधि वासं ॥(७)
न जानामि योगं जपं नैव पूजा, न तोऽहम्‌ सदा सर्वदा शम्भू तुभ्यम्‌ ।
जरा जन्म दुःखौध तातप्यमानं, प्रभोपाहि आपन्नामामीश शम्भो ॥(८)
रुद्राष्टकम् इदं प्रोक्तं विप्रेणहरोतषये, ए पठन्त‍ि नरा भक्तयां तेषां शंभो प्रसिदति।।
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ॐ नमः पार्वतीपतये हर हर महादेव| ॐ नमः शिवाय| ॐ ॐ ॐ ||
कृपा शंकर
२१ फरवरी २०२०

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