Thursday, 23 January 2020

जातिवाद सबसे बड़ा धोखा है .....

"जाति हमारी ब्रह्म है, माता-पिता हैं राम | गृह हमारा शून्य में, अनहद में विश्राम ||"
जो जाति परमात्मा की है, वह जाति ही मेरी है| जैसे विवाह के बाद स्त्री का वर्ण, गौत्र और जाति वही हो जाती है जो उसके पति की होती है, वैसे ही परमात्मा को समर्पित हो जाने के बाद मेरा वर्ण, गौत्र और जाति वह ही है जो सर्वव्यापी परमात्मा की है| मैं 'अच्युत' हूँ|
जातिवाद सबसे बड़ा धोखा है| मैं किसी भी जाति, सम्प्रदाय, या उनकी किसी संस्था से सम्बद्ध नहीं हूँ| सब संस्थाएँ, सब सम्प्रदाय व सब जातियाँ मेरे लिए हैं, मैं उन के लिए नहीं| मैं असम्बद्ध, अनिर्लिप्त, असंग, असीम, शाश्वत आत्मा हूँ जो इस देह रूपी वाहन पर यह लोकयात्रा कर रहा हूँ| मेरा ऐकमात्र शाश्वत सम्बन्ध सिर्फ परमात्मा से है जो सदा रहेगा| जिस नाम से मेरे इस शरीर की पहिचान है, उस शरीर का नाम इस जन्म में कृपा शंकर है| पता नहीं कितने जन्म लिए हैं और पता नहीं कब कितने नाम तत्कालीन घर वालों ने रखे होंगे|
यथार्थ में परमात्मा के सिवाय न मेरी कोई माता है, और न कोई पिता है, और परमात्मा के सिवाय मेरी कोई जाति नहीं है| परमात्मा की अनंतता में जहाँ अनाहत नाद गूंज रहा है, वहीं मेरा घर है, वहीं मुझे विश्राम मिलता है| वहीं मैं हूँ| ॐ तत्सत् | ॐ ॐ ॐ ||
कृपा शंकर
१६ जनवरी २०२०

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