भगवान सबके ह्रदय में हैं, ढूँढने से वहीं मिलते हैं| मेरा आध्यात्मिक हृदय इस शरीर का यह भौतिक हृदय नहीं, कूटस्थ चैतन्य है| मुझे भगवान की अनुभूतियाँ कूटस्थ में ही होती हैं, पर इस भौतिक हृदय में भी वे ही धड़क रहे हैं, इन फेफड़ों से वे ही साँस ले रहे हैं, इन आँखों से वे ही देख रहे हैं, इन पैरों से वे ही चल रहे हैं, और इस मन से वे ही सोच रहे हैं| वे और कोई नहीं, मेरे प्रियतम ही हैं, जिनके साथ जुड़कर मैं भी उनके साथ एक हूँ|
ईश्वरः सर्वभूतानां हृद्देशेऽर्जुन तिष्ठति| भ्रामयन्सर्वभूतानि यन्त्रारूढानि मायया||१८:६१||
ईश्वरः सर्वभूतानां हृद्देशेऽर्जुन तिष्ठति| भ्रामयन्सर्वभूतानि यन्त्रारूढानि मायया||१८:६१||
सभी को सप्रेम सादर नमन! ॐ नमो भगवते वासुदेवाय| ॐ तत्सत्| ॐ ॐ ॐ||
कृपा शंकर
झुंझुनूं (राजस्थान)
२४ जनवरी २०२०
कृपा शंकर
झुंझुनूं (राजस्थान)
२४ जनवरी २०२०
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