Wednesday, 25 December 2019

'अपवर्ग' शब्द का अर्थ .....

'अपवर्ग' शब्द का अर्थ .....
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रामचरितमानस के सुंदर कांड में लिखा है .....
"तात स्वर्ग अपबर्ग सुख धरिअ तुला एक अंग| तूल न ताहि सकल मिलि जो सुख लव सतसंग"
इसका भावार्थ है कि हे तात! स्वर्ग और मोक्ष के सब सुखों को तराजू के एक पलड़े में रखा जाए, तो भी वे सब मिलकर (दूसरे पलड़े पर रखे हुए) उस सुख के बराबर नहीं हो सकते, जो लव (क्षण) मात्र के सत्संग से होता है||
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शब्द 'अपवर्ग' का शाब्दिक अर्थ है ..... मोक्ष या मुक्ति| यहाँ पर 'अपवर्ग' के शाब्दिक अर्थ से संतुष्टि नहीं मिलती| इसका गहन अर्थ बहुत ढूँढने पर दंडी स्वामी मृगेंद्र सरस्वती (सर्वज्ञ शङ्करेन्द्र) जी के एक पुराने लेख में मिला जिसके अनुसार .....
निवृत्ति ही अपवर्ग है, यानि दुःख की उत्पत्ति के कारण का अभाव ही आत्यंतिक दु:खनिवृत्ति है|
अपवर्ग होते हैं ..... प, फ, ब, भ, म.
प - पतन, फ- फल आशा, ब- बंधन, भ - भय, म - मृत्यु.
जहाँ पतन, फल आशा, बंधन, भय, मृत्यु नहीं है, वही अपवर्ग सुख है, जो शिवकृपा का फल है|
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ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
२० नवम्बर २०१९

2 comments:

  1. जो हमारे पास नहीं है वह हम दूसरों को नहीं दे सकते.
    हम विश्व में शांति नहीं ला सकते जब तक हम स्वयं अशांत हैं.
    हम विश्व को प्रेम नहीं दे सकते जब तक हम स्वयं प्रेममय नहीं हैं.
    हम स्वयं क्या हैं, यही सबसे बड़ी भेंट है जो हम किसी को दे सकते हैं.
    ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
    कृपा शंकर
    २१ नवम्बर २०१९

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