Wednesday 25 December 2019

दृष्टी सिर्फ भगवान की ओर ही रहे .....

आध्यात्मिक साधना के कई रहस्य हैं जिन का ज्ञान सद्गुरु रूप भगवान श्रीहरिः की कृपा से ही होता है| उन पर किसी से भी चर्चा अगले व्यक्ति की पात्रता देख कर ही की जाती है अन्यथा नहीं| यहाँ यह बताना आवश्यक है कि साधना के मार्ग में हमारे सबसे बड़े शत्रु प्रमाद और दीर्घसूत्रता हैं| ये तमोगुण से उत्पन्न होते हैं| भगवान सनतकुमार ने तो प्रमाद को मृत्यु बताया है| फिर आवरण व विक्षेप की मायावी शक्तियाँ हैं जिन के पार जाना पड़ता हैं| तभी धर्म-तत्व का बोध होता है| कुसंग का त्याग और आचरण में पवित्रता हमारे लिए अनिवार्य है, अन्यथा तुरंत पतन होने लगता है| संसार में तरह तरह के लोग मिलते हैं, जो एक नदी-नाव के संयोग की तरह है|
अन्तःकरण की चेतना से ऊपर उठ कर चारों ओर छाए अज्ञान व अविद्या के साम्राज्य से हमें बचना है| हम नित्य आध्यात्म में स्थित रहें, यह हमारा परम कर्तव्य है| यह शरीर रहे या न रहे इसका भी कोई महत्व नहीं है| बिना परमात्मा के यह शरीर इस पृथ्वी पर एक भार ही है| अहंकारी लोगों की बहलाने फुसलाने वाली मीठी मीठी बातें विष मिश्रित मधु की तरह हैं| ऐसे लोगों की ओर देखें ही मत| दृष्टी सिर्फ भगवान की ओर ही रहे|
आप सब को नमन!
ॐ तत्सत् ! ॐ नमो भगवते वासुदेवाय | ॐ ॐ ॐ ||
कृपा शंकर
२६ नवम्बर २०१९

1 comment:

  1. मोक्ष मुक्ति इनको जाने बिना हम दोहराये जाते हैं।
    मंडन मिश्र और शंकराचार्य के संबंध में जानकारी जुटाई तो पता चला कि मंडनमिश्र महान मीमांसक आचार्य, प्रवृत्ति मार्ग के प्रतिपादक थे।शंकराचार्य निवृत्ति मार्ग के प्रतिपादक थे।
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    श्री यंत्र के अनुष्ठान केलिए भी दो विधियों का वर्णन मिलता है।1-,विस्तार क्रम(सावित्री)
    2-संहार क्रम(गायत्री)
    गृहस्थों के लिए प्रवृत्ति मार्ग ही ठीक है।इसमें मोक्ष मुक्ति की कामना नहीं ,बल्कि जन्म जन्म भक्ति का वरदान माँगा जाता है.
    मोक्ष के अभिलाषी को निवृत्ति मार्ग अपनाना ठीक है।इस मार्ग में गृह त्याग कर संन्यस्त होना आवश्यक है।
    क्योंकि जब कोई भी व्यक्ति मोक्ष की कामना करेगा, और भाव जितना सघन होगा ,उतना ही उसके आसपास के संसार का क्षय होने लगेगा। क्योंकि हम अपने ही वैचारिक संसार के बंधन में बँधे होते हैं।
    संन्यासी अपने परिवार का परित्याग कर चुका होता है।अतः उसके पारिवारिक जन संन्यासी की साधना के नकारात्मक प्रभाव से बच जाते हैं।

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