Wednesday, 25 December 2019

सनातन धर्म क्या है? .....

सनातन धर्म क्या है?
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जहाँ तक मैं समझा हूँ ..... "जीवन में पूर्णता का सतत प्रयास, अपनी श्रेष्ठतम सम्भावनाओं की अभिव्यक्ति, परम तत्व की खोज, दिव्य अहैतुकी परम प्रेम, भक्ति, करुणा, परमात्मा को समर्पण और नि:श्रेयस की भावना" ..... ही सत्य सनातन धर्म है| यह सनातन धर्म ही भारत की अस्मिता है| इसी की रक्षा के इए भगवान बार बार अवतार लेते हैं|
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हमारी पीड़ा यह है कि वर्तमान में हमारे देश का चारित्रिक पतन हो गया है| हर कदम पर असत्य, छल-कपट, घूस/रिश्वतखोरी और अधर्म व्याप्त हो गया है| धर्म-निरपेक्षता, सर्वधर्म समभाव और आधुनिकता आदि आदि नामों से हमारी अस्मिता पर मर्मान्तक प्रहार हो रहे हैं| भारत की शिक्षा और कृषि व्यवस्था को नष्ट कर दिया गया है| झूठा इतिहास पढ़ाया जा रहा है| संस्कृति के नाम पर फूहड़ नाच-गाने परोसे जा रहे हैं| हमारी कोई नाचने-गाने वालों की संस्कृति नहीं है| हमारी संस्कृति -- ऋषियों-मुनियों, महाप्रतापी धर्मरक्षक वीर राजाओं, ईश्वर के अवतारों, वेद-वेदांगों, दर्शनशास्त्रों, धर्मग्रंथों और संस्कृत साहित्य की है| जो कुछ भी भारतीय है उसे हेय दृष्टी से देखा जा रहा है| विदेशी मूल्य थोपे जा रहे हैं| देश को निरंतर खोखला, निर्वीर्य और धर्महीन बनाया जा रहा है|
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भगवान ही हमारी रक्षा कर सकते हैं, अन्यथा तो विनाश ही तय है| भारत की संस्कृति और धर्म का नाश ही विश्व के विनाश का कारण होगा| सनातन धर्म ही भारत की राजनीति हो सकती है, और भारत का भविष्य ही विश्व का भविष्य है|
वन्दे मातरम| भारत माता कीजय|
कृपा शंकर
२४ नवम्बर २०१९

3 comments:

  1. जहाँ तक आध्यात्म का संबंध है, परमात्मा की परम कृपा से स्वयं के लिए किसी भी प्रकार का कण मात्र भी कोई संशय नहीं है, सारा परिदृश्य और मार्ग स्पष्ट है| मार्ग में कहीं भी अंधकार नहीं है|
    "मूकं करोति वाचालं पंगुं लंघयते गिरिम्‌| यत्कृपा तमहं वन्दे परमानन्द माधवम्‌||"
    "मूक होई वाचाल, पंगु चढ़ै गिरिवर गहन| जासु कृपा सु दयाल, द्रवहु सकल कलिमल दहन||"
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    वासुदेव भगवान श्रीकृष्ण, गुरु महाराज और सूक्ष्म जगत के उन सभी महात्माओं को मैं नमन करता हूँ, जिन्होनें समय समय पर मेरी रक्षा और मार्गदर्शन किया है| उनका मैं सदैव ऋणी हूँ| सारा जीवन उन्हीं को समर्पित है|
    "वायुर्यमोऽग्निर्वरुणः शशाङ्कः प्रजापतिस्त्वं प्रपितामहश्च |
    नमो नमस्तेऽस्तु सहस्रकृत्वः पुनश्च भूयोऽपि नमो नमस्ते ||
    नमः पुरस्तादथ पृष्ठतस्ते नमोऽस्तु ते सर्वत एव सर्व |
    अनन्तवीर्यामितविक्रमस्त्वं सर्वं समाप्नोषि ततोऽसि सर्वः ||"

    "ब्रह्मानन्दं परम सुखदं केवलं ज्ञानमूर्तिं,
    द्वन्द्वातीतं गगनसदृशं तत्त्वमस्यादिलक्ष्यम् |
    एकं नित्यं विमलमचलं सर्वधीसाक्षीभूतम्,
    भावातीतं त्रिगुणरहितं सदगुरूं तं नमामि ||"
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    दुर्लभ क्या है? सर्वाधिक दुर्लभ है परमात्मा के प्रति परमप्रेम, उन्हें पाने की अभीप्सा, सदगुरू, सत्संगति और ब्रह्मविचार| ये मिल गए तो भवसागर पार है, फिर और कुछ नहीं चाहिए|

    ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
    कृपा शंकर
    २४ नवम्बर २०१९

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  2. पढ़ो कम और भक्ति के साथ परमात्मा पर ध्यान अधिक करो ......
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    सारा ज्ञान परमात्मा की कृपा पर निर्भर है| ज्ञान का एकमात्र स्त्रोत भी परमात्मा ही है| हम जहाँ भी हैं, उस से आगे का मार्ग सिर्फ परमप्रेम यानि भक्ति से ही प्रशस्त होता है| अतः बौद्धिक जिज्ञासाओं को शांत करने मात्र से कोई लाभ नहीं है| बौद्धिक जिज्ञासाओं को शांत करने के साथ भक्ति भी हो| जितनी गहन अभीप्सा होगी उतना ही लाभ होगा|

    ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
    २५ नवम्बर २०१९

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  3. कभी हम जंगल में घूमने जाएँ और सामने से शेर आ जाये तो हम क्या करेंगे?

    हम कुछ भी नहीं कर सकेंगे, जो करना है वह शेर ही करेगा.

    ऐसे ही यह संसार है| परमात्मा हमारे समक्ष हैं, समर्पण के अतिरिक्त हम कर भी क्या सकते हैं? जो करना है वह परमात्मा ही करेंगे| उनके समक्ष हमारी कुछ भी नहीं चल सकती|

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