इस सृष्टि का भविष्य सनातन वैदिक धर्म पर निर्भर है .....
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परमात्मा की सर्वाधिक अभिव्यक्ति भारत में ही हुई है अतः इस पृथ्वी का भविष्य भारत पर निर्भर है, और भारत का भविष्य सनातन धर्म पर निर्भर है | इस समस्त सृष्टि का भविष्य भी इस पृथ्वी पर निर्भर है चाहे भौतिक रूप से अनन्त कोटि ब्रह्मांडों में यह पृथ्वी नगण्य है | धर्म विहीन सृष्टि का सम्पूर्ण विनाश सुनिश्चित है |
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जब भी किसी के ह्रदय में परमात्मा को पाने की अभीप्सा जागृत होती है तो वह भारत की ओर ही देखता है | सनातन धर्म पर बहुत अधिक सोची समझी कुटिलताओं द्वारा सर्वाधिक क्रूर बौद्धिक मर्मान्तक प्रहार असुर ईसाई मिशनरियों द्वारा हुए हैं, और अभी भी हो रहे हैं |
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परमात्मा की सर्वाधिक अभिव्यक्ति भारत में ही हुई है अतः इस पृथ्वी का भविष्य भारत पर निर्भर है, और भारत का भविष्य सनातन धर्म पर निर्भर है | इस समस्त सृष्टि का भविष्य भी इस पृथ्वी पर निर्भर है चाहे भौतिक रूप से अनन्त कोटि ब्रह्मांडों में यह पृथ्वी नगण्य है | धर्म विहीन सृष्टि का सम्पूर्ण विनाश सुनिश्चित है |
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जब भी किसी के ह्रदय में परमात्मा को पाने की अभीप्सा जागृत होती है तो वह भारत की ओर ही देखता है | सनातन धर्म पर बहुत अधिक सोची समझी कुटिलताओं द्वारा सर्वाधिक क्रूर बौद्धिक मर्मान्तक प्रहार असुर ईसाई मिशनरियों द्वारा हुए हैं, और अभी भी हो रहे हैं |
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अरब, फारस और मध्य एशिया से आये लुटेरों ने तो अत्यधिक भयावह नरसंहार, देवस्थानों का विध्वंस, और बलात् धर्म परिवर्तन ही किया, और अभी भी वे पाशविक शक्ति के द्वारा सम्पूर्ण विश्व पर एकाधिकार की सोच रहे हैं |
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पर ईसाई आक्रान्ताओं ने तो बहुत सोच समझ कर कुटिल धूर्तता से भारत की प्राचीन शिक्षा व्यवस्था और कृषि व्यवस्था को नष्ट कर धर्म की जड़ें ही खोद दी हैं | उन्होंने हमारे अनेक धर्मग्रंथों में मिलावट कर के प्रक्षिप्त कर दिया, अधिकाँश धर्मग्रंथ नष्ट कर दिए और हमें बहुत अधिक बदनाम भी किया है | वे हमारी सारी धन संपदा को लूट कर हमें निर्धन बना गए, और अभी भी हम उनके मानसपुत्रों की दासता सह रहे हैं | उनके लिए उनका पंथ एक माध्यम है अपनी राजनीतिक सत्ता के विस्तार के लिए | ईश्वर भी एक माध्यम है उनके लिए, असली लक्ष्य तो अपने वर्चस्व का विस्तार है |
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जिन्होंने उनके मत की स्थापना की थी उन ईसा मसीह ने तो फिलिस्तीन से 13 वर्ष की उम्र में ही भारत आकर 30 वर्ष की उम्र तक यानि 17 वर्षों तक भारत में ही रह कर अध्ययन और साधना की थी | तत्पश्चात 3 वर्ष के लिए वे बापस फिलीस्तीन चले गए थे | वहाँ सनातन धर्म का प्रचार किया, व ३३ वर्ष की उम्र में सूली से जीवित बचकर भारत में ही बापस आकर 112 वर्ष तक की उम्र पाने के पश्चात कश्मीर के पहलगांव में देह त्याग किया था |
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भारत नष्ट नहीं होगा और सनातन धर्म भी कभी नष्ट नहीं होगा | नष्ट होगा तो हमारा अहंकार और हमारी पृथकता ही नष्ट होगी |
हमारा धर्म है ... आत्मज्ञान द्वारा निज जीवन में परमात्मा की अभिव्यक्ति | हम अपने निज जीवन में धर्म का पालन करें, यही धर्म की रक्षा होगी |
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ॐ तत्सत् | ॐ ॐ ॐ ||
अरब, फारस और मध्य एशिया से आये लुटेरों ने तो अत्यधिक भयावह नरसंहार, देवस्थानों का विध्वंस, और बलात् धर्म परिवर्तन ही किया, और अभी भी वे पाशविक शक्ति के द्वारा सम्पूर्ण विश्व पर एकाधिकार की सोच रहे हैं |
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पर ईसाई आक्रान्ताओं ने तो बहुत सोच समझ कर कुटिल धूर्तता से भारत की प्राचीन शिक्षा व्यवस्था और कृषि व्यवस्था को नष्ट कर धर्म की जड़ें ही खोद दी हैं | उन्होंने हमारे अनेक धर्मग्रंथों में मिलावट कर के प्रक्षिप्त कर दिया, अधिकाँश धर्मग्रंथ नष्ट कर दिए और हमें बहुत अधिक बदनाम भी किया है | वे हमारी सारी धन संपदा को लूट कर हमें निर्धन बना गए, और अभी भी हम उनके मानसपुत्रों की दासता सह रहे हैं | उनके लिए उनका पंथ एक माध्यम है अपनी राजनीतिक सत्ता के विस्तार के लिए | ईश्वर भी एक माध्यम है उनके लिए, असली लक्ष्य तो अपने वर्चस्व का विस्तार है |
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जिन्होंने उनके मत की स्थापना की थी उन ईसा मसीह ने तो फिलिस्तीन से 13 वर्ष की उम्र में ही भारत आकर 30 वर्ष की उम्र तक यानि 17 वर्षों तक भारत में ही रह कर अध्ययन और साधना की थी | तत्पश्चात 3 वर्ष के लिए वे बापस फिलीस्तीन चले गए थे | वहाँ सनातन धर्म का प्रचार किया, व ३३ वर्ष की उम्र में सूली से जीवित बचकर भारत में ही बापस आकर 112 वर्ष तक की उम्र पाने के पश्चात कश्मीर के पहलगांव में देह त्याग किया था |
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भारत नष्ट नहीं होगा और सनातन धर्म भी कभी नष्ट नहीं होगा | नष्ट होगा तो हमारा अहंकार और हमारी पृथकता ही नष्ट होगी |
हमारा धर्म है ... आत्मज्ञान द्वारा निज जीवन में परमात्मा की अभिव्यक्ति | हम अपने निज जीवन में धर्म का पालन करें, यही धर्म की रक्षा होगी |
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ॐ तत्सत् | ॐ ॐ ॐ ||
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