जब ह्रदय शांत और और आज्ञा चक्र जागृत होने लगता है तभी चित्त की वृत्तियों का निरोध होना आरम्भ होने लगता है|
Friday, 26 December 2025
चित्त वृत्ति निरोध ------
Thursday, 25 December 2025
मन में आ रहे फालतू और भटकाने वाले विचारों से ध्यान हटा कर भगवान में मन कैसे लगाएँ?
(प्रश्न) : मन में आ रहे फालतू और भटकाने वाले विचारों से ध्यान हटा कर भगवान में मन कैसे लगाएँ?
Wednesday, 24 December 2025
भारत के लिए ये ५ जलडमरूमध्य स्वतंत्र और सुचारू अंतर्राष्ट्रीय-नौपरिवहन के लिए बहुत आवश्यक हैं-- मलक्का, बाब-अल-मंडेब, होरमुज, बास्फोरस और जिब्राल्टर। स्वेज़ और पनामा नहरों का चालू रहना भी बहुत अधिक आवश्यक है।
भारत के लिए ये ५ जलडमरूमध्य स्वतंत्र और सुचारू अंतर्राष्ट्रीय-नौपरिवहन के लिए बहुत आवश्यक हैं-- मलक्का, बाब-अल-मंडेब, होरमुज, बास्फोरस और जिब्राल्टर। स्वेज़ और पनामा नहरों का चालू रहना भी बहुत अधिक आवश्यक है।
भविष्य में एक दिन ईसा मसीह के सारे अनुयायी -- सत्य-सनातन-धर्म को अपना लेंगे।
आज रात्रि को मैं पूर्ण प्रयास करूंगा कि आज की पूरी रात्री परमात्मा के ध्यान में ही व्यतीत हो। मुझे पूर्ण विश्वास है कि भविष्य में एक दिन ईसा मसीह के सारे अनुयायी -- सत्य-सनातन-धर्म को अपना लेंगे। यह प्रक्रिया आरंभ भी हो गई है। भारत की सबसे अधिक हानि भी उन्हीं लोगों ने की है।
Monday, 22 December 2025
जब तक मैं परमात्मा से दूर था ---
जब तक मैं परमात्मा से दूर था, यह जीवन अपने केंद्र-बिन्दु से बहुत दूर एक मरीचिका (Mirage) यानि दृष्टिभ्रम या एक झूठा प्रतिबिंब (false image) मात्र ही था। एक झूठी आशा के पीछे भाग रहा था। सत्य का बोध तो अभी हो रहा है। भगवान श्रीकृष्ण का गीता में यह आश्वासन एक नयी दृष्टि और बोध दे रहा है --
उस आभामंडल को ही अपना काम करने दें ---
निरंतर परमात्मा के चिंतन से हमारे चारों और एक आध्यात्मिक आभामंडल का निर्माण हो जाता है। वह आभामंडल ही चुम्बकत्व की तरह उन सब चीजों को आकर्षित करेगा जो जीवन में सर्वश्रेष्ठ है। उस आभामंडल को ही अपना काम करने दें।
प्रकाश का अभाव ही अंधकार है ---
Sunday, 21 December 2025
उत्तरायण की शुभ कामनाएँ ---
उत्तरायण की शुभ कामनाएँ ---
Tuesday, 16 December 2025
परमात्मा को निश्चित रूप से हम कैसे उपलब्ध हों?
(प्रश्न) : परमात्मा को निश्चित रूप से हम कैसे उपलब्ध हों?
हे प्रभु, स्वयं को मुझ में व्यक्त करो, आप और मैं एक हैं ---
हे प्रभु, स्वयं को मुझ में व्यक्त करो, आप और मैं एक हैं ---
आध्यात्मिक साधना वही करें जो हमें वीतराग बनाये ---
आध्यात्मिक साधना वही करें जो हमें वीतराग बनाये ---
"कूटस्थ" शब्द का अर्थ? ---
"कूटस्थ" शब्द का अर्थ? ---
सबसे बड़ा तंत्र, और सबसे बड़ा मन्त्र ---
सबसे बड़ा तंत्र, और सबसे बड़ा मन्त्र ---
परमात्मा की उच्चतम अनुभूति हमें "परमशिव" या "पुरुषोत्तम" के रूप में होती है। लेकिन कूटस्थ ब्रह्म के रूप में तो वे हर समय हमारे समक्ष हैं ---
आध्यात्मिक दृष्टि से मैं तृप्त और संतुष्ट हूँ ---
आध्यात्मिक दृष्टि से मैं तृप्त और संतुष्ट हूँ। यहाँ से मन भर गया है। अब केवल परमात्मा के महासागर में गहरी डुबकी लगाकर स्वयं को विलीन करने का काम बाकी है। यह महासागर ऊर्ध्व में है, जिसका रंग धवल यानि श्वेत है। इसकी स्थिति चिदाकाश यानि चित्त रूपी आकाश से भी परे है। वहाँ का गुरुत्वाकर्षण भी उल्टा है। वह ऊपर की ओर ही खींचता है, नीचे की ओर नहीं। हमारी कामनाएँ और आकाक्षाएँ हमें अधोगामी बना देती हैं। अन्यथा हमारी स्वाभाविक गति ऊर्ध्व में है। वही क्षीरसागर है, जहां भगवान नारायण का निवास है। वहाँ प्रकाश ही प्रकाश है, कोई अंधकार नहीं।
आज गीता जयंती है। सभी को मंगलमय शुभ कामनाएँ।
आज गीता जयंती है। सभी को मंगलमय शुभ कामनाएँ।
निराश्रयं माम् जगदीश रक्षः॥
निराश्रयं माम् जगदीश रक्षः॥
ईश्वर की कृपा से सरल से सरल भाषा में मैं भगवान की भक्ति, आध्यात्मिक साधना और ब्रह्मविद्या पर अनेक लघु लेख लिख पाया
ईश्वर की कृपा से सरल से सरल भाषा में मैं भगवान की भक्ति, आध्यात्मिक साधना और ब्रह्मविद्या पर अनेक लघु लेख लिख पाया। ब्रह्मविद्या को ही को उपनिषदों में "भूमा" कहा गया है, जिसे दर्शन शास्त्रों में "वेदान्त" भी कहते हैं। जो मैं नहीं लिख पाया वह मेरी सीमित बुद्धि की समझ से परे था।