Monday, 22 December 2025

उस आभामंडल को ही अपना काम करने दें ---

 निरंतर परमात्मा के चिंतन से हमारे चारों और एक आध्यात्मिक आभामंडल का निर्माण हो जाता है। वह आभामंडल ही चुम्बकत्व की तरह उन सब चीजों को आकर्षित करेगा जो जीवन में सर्वश्रेष्ठ है। उस आभामंडल को ही अपना काम करने दें।

जीवन में किसी से भी कोई अनावश्यक बात न करें, और न ही अनावश्यक रूप से किसी से कोई मेलजोल रखें। प्रयास करें की मानसिक रूप से निरंतर किसी पवित्र मंत्र का जप होता रहे, जैसे प्रणव-मंत्र या तारक-मंत्र। यह भाव रखें कि स्वयं परमात्मा ही यह जप कर रहे हैं। जब भी समय मिले परमात्मा को समर्पित होकर कूटस्थ में उनका ध्यान करें। हमारा जीवन धन्य होगा। हरिः ॐ तत्सत्॥
कृपा शंकर
१८ दिसंबर २०२५

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