Sunday, 21 December 2025

उत्तरायण की शुभ कामनाएँ ---

 उत्तरायण की शुभ कामनाएँ ---

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खगोलीय दृष्टि से (ज्योतिष के हिसाब से नहीं) आज (२२ दिसंबर २०२२) से पृथ्वी के उत्तरी गोलार्ध में उत्तरायण (Winter Solstice २०२२) का आरंभ हो गया है। बीते हुए कल की और आज की रात्रियाँ वर्ष २०२२ की सबसे लंबी रात्रियाँ थीं और हैं। कल से रात्रियाँ छोटी और दिन बड़े होने आरंभ हो जाएंगे। यह एक खगोलीय घटना है, (जब सूर्य खगोलीय गोले में खगोलीय मध्य रेखा के सापेक्ष अपनी उच्चतम अथवा निम्नतम अवस्था में भ्रमण करता है) जो वर्ष में दो बार होती है। उत्तरी गोलार्ध में यह शीतकाल का मध्य बिन्दु है। दक्षिणी गोलार्ध में इस से विपरीत होता है।
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वर्तमान में चल रहा सर्दियों का मौसम, आध्यात्मिक साधना के लिए बहुत अनुकूल है। न तो पंखे या कूलर की आवाज़, और न कोई शोरगुल है। प्रकृति भी बड़ी शांत है। ऐसे में अपने भौतिक और मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखें, और भगवान ने जो २४ घंटों का समय दिया है, उसका १० प्रतिशत भाग तो बापस भगवान को बापस दें। सारा मार्गदर्शन - गीता आदि ग्रन्थों में है, जिनका स्वाध्याय करें। भगवान से प्रेम होगा तो वे स्वयं सारा मार्गदर्शन और सहायता करेंगे। इस मार्ग में कोई short cut नहीं है। सारी प्रगति और सफलता -- भगवान के अनुग्रह पर निर्भर है।
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मेरे नवरत्न तो भगवान स्वयं हैं। मैं न तो कोई अंगूठी पहनता हूँ, न कोई नवरत्न का कड़ा, या न कोई कंठीमाला। मेरे एकमात्र रत्न भगवान स्वयं हैं, जो निरंतर मेरे हृदय में रहते हैं। एक क्षण के लिए भी वे इधर-उधर नहीं होते। वे ही मेरी शोभा हैं। मेरा हृदय कूटस्थ सूर्यमंडल है, न कि यह भौतिक हृदय। कूटस्थ चैतन्य ही मेरा जीवन है। उस से च्युत होना ही मृत्यु है। भगवान की विस्मृति नर्क है, और उन की स्मृति ही स्वर्ग है। साधना का और साधक होने का भ्रम मिथ्या है।
आप सब को शुभ कामनाएँ और नमन !!
कृपा शंकर
२२ दिसंबर २०२२

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