हे प्रभु, मुझे आप में समर्पण करना सिखाओ ---
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हे परमात्मा, हे भगवन, मैं वास्तव में स्वयं को आप में पूर्णतः समर्पित करना चाहता हूँ। अब तक तो जो कुछ भी किया, लगता है कि वह सब एक ढोंग या दिखावा मात्र ही था। वास्तविकता का नहीं पता। अब स्वयं को और धोखा नहीं देना चाहता।
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मेरे ह्रदय की सारी कुटिलता का नाश करो। मैं स्वयं को खाली करना चाहता हूँ, स्वयं पर कई विचार लाद रखे हैं उन सब से मुक्त करो। अपने स्वरुप का बोध कराओ। चैतन्य में सिर्फ आपकी ही स्मृति रहे। आपका ही निरंतर सत्संग सदैव बना रहे।
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ह्रदय में दहकती इस अतृप्त प्यास को बुझाओ| आप ही मेरी गति हैं और आप ही मेरे आश्रय हैं|
ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ ॥
कृपा शंकर
१६ जून २०२४
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