Tuesday, 1 April 2025

हम लोग पश्चिमी प्रचार-तंत्र से प्रभावित हैं ---

 हम लोग पश्चिमी प्रचार-तंत्र से प्रभावित हैं। भारत की बिकी हुई टीवी समाचार मीडिया वही समाचार दिखा रही है, जैसा उसको अमेरिकी गुप्तचर संस्था CIA द्वारा निर्देशित किया जा रहा है। दो दिन पहले ही रूस ने घोषणा कर दी थी कि युद्ध का उसका पहला लक्ष्य पूरा हो गया है। अब दूसरा लक्ष्य भी वे शीघ्र ही प्राप्त कर लेंगे। कुछ महत्वपूर्ण बाते हैं ---

.
(१) युद्ध के आरंभ होते ही उकराइन की वायुसेना और नौसेना को रूस ने पंगु कर के निष्क्रिय कर दिया था। आज तक उकराइन की वायुसेना के एक भी विमान ने युद्ध में भाग नहीं लिया है। इसी तरह उकराइन की नौसेना भी निष्क्रिय कर दी गई थी, और कुछ भी करने में असमर्थ है।
(२) उकराइन की ओर से लड़ने में वहाँ की नियमित थलसेना के वरिष्ठ अधिकारियों की कोई रुचि नहीं है। वे सब रूस द्वारा प्रशिक्षित हैं। उनको पता है कि वर्तमान युद्ध का एकमात्र कारण NATO द्वारा रूस की घेराबन्दी करने में उकराइन का दुरुपयोग है।
(३) उकराइन की ओर से -- अमेरिका द्वारा गठित नात्सी विचारधारा की अवैध "अजोव बटालियन", और विभिन्न देशों में NATO द्वारा प्रशिक्षित भाड़े के सिपाही और आतंकवादी लड़ रहे हैं। उकराइन अपने नागरिकों का ढाल की तरह उपयोग कर रहा है। उनकी महिलाओं और बच्चों को तो शरणार्थी बनाकर पोलेंड में भेज दिया गया है, और पुरुषों को सैनिक वेशभूषा पहिनाकर लड़ने को बाध्य किया जा रहा है।
(४) अजोव बटालियन की स्थापना उकराइनी सेना की एक नयी शाखा के तौर पर तब की गयी थी जब उकराइन के रूसी भाषियों का नरसंहार करने का निर्णय CIA, और उसके द्वारा अवैध तरीके से गठन की गई वर्तमान उकराइनी सरकार ने लिया। उकराइन की सेना एक professional army है, वह नरसंहार नहीं कर सकती। दूसरे देशों से CIA द्वारा प्रशिक्षित आतंकी गुण्डों को बुलाकर नयी बटालियनें बनायी गई थी, वे ही यूक्रेनी सेना के नाम पर लड़ रहे हैं।
(५) अजोव बटालियन ने रूसी भाषी जनसंख्या के दुधमुँहे बच्चों की सामूहिक हत्या की है जिसके प्रमाण रूस के पास हैं। उनमें से कई हत्यारों को पकड़ा गया है, और युद्ध समाप्त होते ही उन पर मुकदमा चलाया जाएगा।
(६) रूसी समाचार मीडिया पर पश्चिमी देशों ने प्रतिबंध लगा दिया गया है। अतः उनका पक्ष कहीं भी नहीं सुना जाता।
(७) रूस ने अब तक क्यिव पर अधिकार करने का प्रयास ही नहीं किया। क्यिव के तीन ओर भयानक दलदल है, जिसे पार करने के पुल उकराइन ने उड़ा दिये थे। अब सिर्फ दक्षिण दिशा से ही क्यिव में प्रवेश किया जा सकता है, जहाँ रूसी सेना अभी तक गई ही नहीं है। एक रणनीति के अंतर्गत क्यिव के पास इरपिन नगर पर रूसी सेना ने अधिकार किया था जिससे लगे कि अगला लक्ष्य क्यिव है। अब अपनी रणनीति के अंतर्गत वहाँ से भी रूसी सेना पीछे हट गई है। उकराइन की सरकार यह झूठा प्रचार कर रही है कि उसकी सेना ने रूस को पीछे खदेड़ दिया है।
(८) अब रूस सिर्फ उन्हीं क्षेत्रों पर अपना अधिकार कर रहा है जहाँ रूसी-भाषी बहुसंख्यक हैं। जहाँ जहाँ उकराइनी-भाषी बहुसंख्यक हैं, उन क्षेत्रों से रूस पीछे हट रहा है।
(९) अमेरिका झूठे प्रचार द्वारा स्केंडेनेवियन देशों को भी NATO में लाने का प्रयास कर रहा है।
.
भारत को अमेरिकी डॉलर की गुलामी से मुक्त हो जाना चाहिए। भारत की राजनीति में और प्रशासन में बहुत सारे अमेरिका-भक्त बैठे हुए हैं जो ऐसा नहीं होने दे रहे हैं। रूस और चीन दोनों ही अमेरिकी डॉलर के विरुद्ध हैं।
इस युद्ध में अमेरिका व NATO के देश हारेंगे। अंततः रूस विजयी होगा। इसमें मुझे कोई संदेह नहीं है।
ॐ तत्सत् !! ॐ स्वस्ति !!
२ अप्रेल २०२२

No comments:

Post a Comment