मनसा, वाचा, कर्मणा मैंने कभी किसी का कोई अहित किया हो तो मैं क्षमाप्रार्थी हूँ। जीवन के हर क्षेत्र में मैंने खूब मनमानी की है। प्राय सभी से मेरा व्यवहार बहुत ही गलत था। भगवान ने तो मुझे क्षमा कर दिया है, आप भी क्षमा कर दीजिए।
सारे संचित और प्रारब्ध कर्मफल भी एक न एक दिन कट ही जाएंगे।
महत्व वर्तमान क्षण का है। निमित्त मात्र रहते हुए भगवान को ही कर्ता बनाओ। जीवन में सब सही होगा। किसी भी तरह की किसी कामना या आकांक्षा का जन्म ही न हो।
जय सियाराम !!
ॐ ॐ ॐ !!
२ अप्रेल २०२३
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