महान संतान कैसे उत्पन्न होती है?
जब स्त्री का अंडाणु और पुरुष का शुक्राणु मिलते हैं तब सूक्ष्म जगत में एक विस्फोट होता है| उस समय पुरुष और स्त्री (विशेष कर के स्त्री) जैसी चेतना में होते हैं, वैसी ही चेतना की आत्मा आकर गर्भस्थ हो जाती है| प्राचीन भारत में गर्भाधान संस्कार होता था| संतान उत्पन्न करने से पूर्व पति और पत्नी दोनों छः माह तक ब्रह्मचर्य का पालन करते थे और ध्यान साधना द्वारा एक उच्चतर चेतना में चले जाते थे| इसके पश्चात गर्भाधान संस्कार द्वारा वे चाहे जैसी संतान उत्पन्न करते थे| भारत के मनीषियों को यह विधि ज्ञात थी इसीलिए भारत ने प्राचीन काल में महापुरुष ही महापुरुष उत्पन्न किये|
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गर्भाधान के पश्चात भी अनेक संस्कार होते थे| गर्भवती स्त्री को एक पवित्र वातावरण में रखा जाता, जहाँ नित्य वेदपाठ और स्वाध्याय होता था| शिशु के जन्म के पश्चात भी अनेक संस्कार होते थे| वे सारे संस्कार अब लुप्त हो गए हैं| इसीलिए भारत में महान आत्माएं जन्म नहीं ले पा रही हैं| अनेक महान आत्माएं भारत में जन्म लेना चाहती हैं पर उन्हें इसका अवसर नहीं मिल रहा| आप चाहे जैसी संतान उत्पन्न कर सकते हैं, महान से महान आत्मा को जन्म दे सकते हैं|
आप सब में हृदयस्थ परमात्मा को नमन|
ॐ तत्सत ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
२४ मार्च २०१६
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पुनश्चः :---- प्राचीन भारत में लोग अपने हर अभीष्ट की प्राप्ति के लिए तपस्या को ही मूल साधन मानते थे, चाहे वह सांसारिक हो या आध्यात्मिक| पाराशर जैसे महान ऋषि ने भी एक महान पुत्र के लिए तपस्या की थी| आजकल की संताने संयोग से ही उत्पन्न हो रही हैं, इसीलिए महान आत्मायें भारत में जन्म नहीं ले रही हैं| ऋषि पराशर जी ने सब शास्त्रों में पारंगत एक पुत्र की कामना से नर्मदा के तट पर घोर तपस्या की थी| जगन्माता के आशीर्वाद से उन्हें सत्यनिष्ठ और सर्वशास्त्रविशारद कृष्णद्वैपायन व्यास नामक पुत्र प्राप्त हुआ|
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जब स्त्री का अंडाणु और पुरुष का शुक्राणु मिलते हैं तब सूक्ष्म जगत में एक विस्फोट होता है| उस समय पुरुष और स्त्री (विशेष कर के स्त्री) जैसी चेतना में होते हैं, वैसी ही चेतना की आत्मा आकर गर्भस्थ हो जाती है|
प्राचीन भारत में गर्भाधान संस्कार होता था|
संतान उत्पन्न करने से पूर्व पति और पत्नी दोनों छः माह तक ब्रह्मचर्य का पालन करते थे और ध्यान साधना द्वारा एक उच्चतर चेतना में चले जाते थे| इसके पश्चात गर्भाधान संस्कार द्वारा वे चाहे जैसी संतान उत्पन्न करते थे|
भारत के मनीषियों को यह विधि ज्ञात थी इसीलिए भारत ने प्राचीन काल में महापुरुष ही महापुरुष उत्पन्न किये|
गर्भाधान के पश्चात भी अनेक संस्कार होते थे| गर्भवती स्त्री को एक पवित्र वातावरण में रखा जाता, जहाँ नित्य वेदपाठ और स्वाध्याय होता था| शिशु के जन्म के पश्चात भी अनेक संस्कार होते थे|
वे सारे संस्कार अब लुप्त हो गए हैं| इसीलिए भारत में महान आत्माएं जन्म नहीं ले पा रही हैं| अनेक महान आत्माएं भारत में जन्म लेना चाहती हैं पर उन्हें इसका अवसर नहीं मिल रहा|
आप चाहे जैसी संतान उत्पन्न कर सकते हैं| महान से महान आत्मा को जन्म दे सकते हैं|
ॐ तत्सत | ॐ नमः शिवाय| ॐ ॐ ॐ ||