Monday, 24 March 2025

हमारी आध्यात्मिक साधना का एकमात्र उद्देश्य सत्य सनातन धर्म की पुनर्प्रतिष्ठा और वैश्वीकरण है ---

हमारी आध्यात्मिक साधना का एकमात्र उद्देश्य सत्य सनातन धर्म की पुनर्प्रतिष्ठा और वैश्वीकरण, व भारत माता को अपने द्वीगुणित परम वैभव के साथ अखंडता के सिंहासन पर बैठाना है| हमारी आत्मा नित्य मुक्त है| किसी भी तरह के मोक्ष या मुक्ति की हमें आवश्यकता नहीं है| जब तक हमारा संकल्प पूरा नहीं होता हम बार बार इसी धरा पर जन्म लेंगे|

कौन क्या सोचता है क्या कहता है, इस से भी हमें कोई मतलब नहीं है| आज नव संवत्सर पर हम अपने संकल्प को दुहरा रहे हैं| भगवान हमारे हृदय में है और उन की शक्ति हमारे साथ है| भगवान "हैं", यहीं पर "हैं", सर्वत्र "हैं", इसी समय "हैं", हर समय "हैं", वे ही हमारे हृदय में धडक रहे "हैं", वे ही इन नासिकाओं से सांसें ले रहे "हैं", इन पैरों से वे ही चल रहे "हैं", इन हाथों से वे ही हर कार्य कर रहे "हैं", इन आँखों से वे ही देख रहे "हैं", इस मन और बुद्धि से वे ही सोच रहे "हैं", हमारा सम्पूर्ण अस्तित्व वे ही "हैं"| सारा ब्रह्मांड, सारी सृष्टि वे ही "हैं"| वे परम विराट और अनंत "हैं"| हम तो निमित्त मात्र, उन के एक उपकरण हैं| भगवान स्वयं ही हमें माध्यम बना कर सारा कार्य कर रहे हैं| कर्ता हम नहीं, स्वयं भगवान हैं| सारी महिमा भगवान की है| भगवान ने जहाँ भी रखा है और जो भी दायीत्व दिया है उसे हम नहीं, स्वयं भगवान ही कर रहे हैं| वे ही जगन्माता हैं, वे ही परमपुरुष हैं| हम उन के साथ एक हैं| कोई भेद नहीं है| ॐ ॐ ॐ ||
ॐ तत्सत् !! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
२५ मार्च २०२०

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