Monday, 24 March 2025

होली की दारुणरात्रि का पूरा आध्यात्मिक लाभ उठाएँ ---

 होली की दारुणरात्रि का पूरा आध्यात्मिक लाभ उठाएँ ---

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इसके लिए तैयारी अभी से करनी होगी| आध्यात्मिक साधना और मंत्र-सिद्धि के लिए चार रात्रियों का बड़ा महत्त्व है| ये हैं --- कालरात्रि (दीपावली), महारात्रि (महाशिवरात्रि), मोहरात्रि (जन्माष्टमी), और दारुणरात्रि (होली)| होली की रात्रि -- दारुणरात्रि है, जो मन्त्र-सिद्धि के लिए सर्वश्रेष्ठ है| इस रात्रि को किया गया ध्यान, जप-तप, भजन --- कई गुणा अधिक फलदायी होता है| दारुणरात्रि को की गयी मंत्र-साधना बहुत महत्वपूर्ण और सिद्धिदायी होती है|
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इस अवसर पर अभी से श्रीमद्भगवद्गीता के आत्मसंयमयोग (छठे अध्याय) का स्वाध्याय आरंभ कर देना चाहिये| आत्म-विस्मृति सब दुःखों का कारण है| इस दारुण-रात्रि को गुरु प्रदत्त विधि से अपने आत्म-स्वरुप यानि सर्वव्यापी परमात्मा का ध्यान करें| इस रात्रि में सुषुम्ना का प्रवाह प्रबल रहता है अतः निष्ठा और भक्ति से साधना करने पर सिद्धि अवश्य मिलेगी|
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इस सुअवसर का सदुपयोग करें और समय इधर उधर नष्ट करने की बजाय आत्मज्ञान ही नहीं बल्कि धर्म और राष्ट्र के अभ्युदय के लिए भी साधना करें| धर्म और राष्ट्र की रक्षा के लिए एक विराट आध्यात्मिक ब्रह्मशक्ति के जागरण की हमें आवश्यकता है| यह कार्य हमें ही करना पड़ेगा, इसका कोई विकल्प नहीं है।
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भक्त प्रहलाद की जय !! भगवान नृसिंह की जय !!
ॐ स्वस्ति !! ॐ तत्सत् !! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
२५ मार्च २०२१

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