भगवान श्रीहरिः जब तक हमारा चित्त न चुराएँ, तब तक कोई भी आध्यात्मिक साधना सफल नहीं हो सकती| वे हमारा चित्त ही नहीं, पूरा अंतःकरण ही चुराएँ, तभी हम सफल हो सकते हैं| जो सफल हुए हैं उनका रहस्य उनसे पूछिये| पहिले उनका मन, बुद्धि, चित्त और अहंकार ..... चोरी हुआ, तभी वे सफल हुए| आध्यात्म में खुद के प्रयासों से कभी सफलता नहीं मिलती| माँ भगवती स्वयं ही हृदय में आकर भक्ति करे तभी हम सफल हो सकते हैं|
जब तक हमारे में कर्ताभाव का अहंकार है, तब तक विफलता के नर्क-कुंडों में ही हम गिरेंगे| यह बिलकुल सत्य है जिसे मैं अपने अनुभवों से लिख रहा हूँ| अहंकारी लोग या तो नर्कगामी हुये हैं या आसुरी लोकों में गए हैं|
भगवान ने कृपा कर के अपने कई रहस्य अनावृत कर दिये हैं| हे चित्तचोर, तुम्हारी जय हो|
२९ मार्च २०२०
No comments:
Post a Comment