धर्मं-निरपेक्ष और धर्महीन व्यक्ति जीवन में कभी सुखी नहीं हो सकता। जीवन में सुख-शांति-सुरक्षा व संपन्नता का एकमात्र स्त्रोत परमात्मा है। मार्क्सवादी देशों का मुझे प्रत्यक्ष अनुभव है, वहाँ कोई सुख-शांति नहीं है। यही हाल इस्लामी व ईसाई देशों का है। भारत में लोग सुखी थे, क्योंकि वे संतुष्ट थे। अन्न की कोई कमी नहीं थी। उनके जीवन में आध्यात्म था। देश की सत्ता में शासक वर्ग ऐसा हो जिसे इस राष्ट्र की संस्कृति और अस्मिता से प्रेम हो। . हृदय के द्वार खुले हैं, और खुले ही रहेंगे। भगवान हर समय मेरे साथ एक हैं। वे एक क्षण के लिए भी मेरी दृष्टि से अब ओझल नहीं हो सकते। सारा वर्तमान उनको समर्पित है। भूत और भविष्य का विचार अब कभी जन्म नहीं ले सकता। कोई अंधकार नहीं, प्रकाश ही प्रकाश है। उनके सिवाय कोई भी अन्य नहीं है। केवल वे ही वे हैं। वे ही यह मैं बन गए हैं। .
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