Friday, 2 August 2019

"राम" नाम परम सत्य है, और सत्य ही परमात्मा है ......

"राम" नाम परम सत्य है, और सत्य ही परमात्मा है ......
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साकार रूप में तो भगवान श्रीराम परमात्मा के अवतार हैं ही, निराकार रूप में भी परमब्रह्म हैं| ऊर्ध्व में स्थिति प्राप्त होने पर ब्रह्मज्ञान का उदय होता है, उस अवस्था में यानि आत्मतत्व में रमण करने का नाम राम है| मणिपुर-चक्र के भीतर कुंकुमाभास तेजसतत्व अग्निबीज 'र'कार है, उसके साथ आकार रूप हंस यानि अजपा-जप द्वारा आज्ञा-चक्र स्थित ब्रह्मयोनि के भीतर बिंदु स्वरुप 'म'कार का मिलन होता है| यहाँ राम नाम एक अनुभूति का विषय है जिसे शब्दों के माध्यम से व्यक्त करना बड़ा कठिन है|
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जो साधक सदा आत्मा में रमण करते हैं, उनके लिए "राम" नाम तारकमंत्र है| मृत्युकाल में "राम" नाम जिनके स्मरण में रहे वे स्वयं ही ब्रह्ममय हो जाते हैं| आत्मतत्व में स्थित होने को तंत्र में मैथुन कहा गया है| अंतर्मुखी प्राणायाम आलिंगन है| स्थितिपद में मग्न हो जाने का नाम चुंबन है| केवल कुम्भक की स्थिति में जो आवाहन होता है वह सीत्कार है| खेचरी मुद्रा में जिस अमृत का क्षरण होता है वह नैवेद्य है| अजपा-जप ही रमण है| यह रमण करते करते जिस आनंद का उदय होता है वह दक्षिणा है| यह साधना उन को स्वतः ही समझ में आ जाती है जो नियमित ध्यान करते हैं| "श्री" शब्द में "श" श्वास है, "र" तेजस यानि अग्नि तत्व है, और "ई" शक्तिबीज है| अजपा-जप और नाद-श्रवण करते करते अनंत परमात्मा की अनुभूति निराकार श्रीराम की अनुभूति है जहाँ अहंकार नष्ट होकर चेतना राममय हो जाती है|
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परमात्मा के निरंतर चिंतन से मद्य यानि शराब का सा नशा होता है| परमात्मा का निरंतर चिंतन ही मद्यपान है| पुण्य और पाप रूपी पशुओ की ज्ञान रूपी खड़ग से हत्या कर उनका भक्षण करने से मौन में स्थिति होती है| मौन में स्थिति ही मांस है| ध्यान के द्वारा इड़ा (गंगा) और पिंगला (यमुना ) के मध्य सुषुम्ना (सरस्वती) में विचरण करने वाली प्राण-ऊर्जा मीन है| दुष्टों की संगती रूपी बंधन से बचे रहना ही मुद्रा है| मूलाधार से कुंडलिनी महाशक्ति को उठाकर सहस्त्रार में परमशिव से मिलाना मैथुन है| महाशक्ति कुंडलिनी और परमशिव के मिलन के बाद की स्थिति आत्माराम और राममय होना है| राम नाम ही परम सत्य है|
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(अपनी अति अल्प और सीमित बुद्धि द्वारा लिखा गया उपरोक्त लेख सूर्य को दीपक दिखाने के समान है| किसी भी अशुद्धि के लिए विद्वानों से क्षमायाचना करता हूँ| किसी भी तरह की टिप्पणी इस लेख पर नहीं करूँगा| जो भी लिखा है वह अनुभूत सत्य है|)
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ॐ तत्सत ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
२५ जुलाई २०१९

1 comment:

  1. स्वयं राममय बनें .....
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    अफवाहों से बचें, किसी भी तरह की अफवाह पर ध्यान न दें| अफवाह फैलाने वालों की सूचना पुलिस व प्रशासन को दें| आजकल कई लोग समाज में अशान्ति फैलाने के लिए झूठी कपटपूर्ण बातें फैलाकर सामाजिक सद्भावना को नष्ट करना चाहते हैं, उनका सदा प्रतिकार करें|
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    अगर किसी व्यक्ति पर भूत यानि आसुरी प्रेतात्मा चढ़ जाए तो आवश्यकता उसे उस भूत से मुक्ति दिलाने की है| वह तो उस भूत का एक शिकार मात्र है| वह भूत आसुरी विचारधारा के रूप में आता है| फिर यह भी सोचिये कि उस भूत को आप कैसे उतार सकते हैं, जुट जाइए अपने प्रयास में| वह भूत दूर होगा हमारे स्वयं के राममय होने से| स्वयं में अपने राम को जागृत करें| इस समय विश्व पर कुछ असुरों का यानि असत्य और अंधकार की शक्तियों का आधिपत्य छाया हुआ है| उस असत्य और अन्धकार को दूर करने का प्रयास करें, ना कि उनके शिकार हुए लोगों को बुरा बताने का| दोनो ही साम्राज्य विस्तार में लगे है कोई आतंकवाद से कोई पाखंड से|

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